मीडिया में और चुनाव प्रचार से भले ही एकतरफा माहौल बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन चुनाव पूर्व सर्वेक्षण ने चौंकाने वाले नतीजे आने के संकेत दिए हैं। राम मंदिर, भ्रष्टाचार जैसे जिन मुद्दों की दिनरात चर्चा कर माहौल बनाने की कोशिश की गई है, वे मतदाताओं के लिए बड़े मुद्दे नहीं हैं। सीएसडीएस-लोकनीति ने द हिंदू के साथ मिलकर जो सर्वे किया है उसमें मतदाताओं की सबसे बड़ी तीन चिंताएँ- रोज़गार, महंगाई और विकास उभरी हैं। सर्वेक्षण के अनुसार नौकरियों और महंगाई की चिंताओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस सर्वे ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह किसी प्रकार की सत्ता विरोधी लहर में तब्दील होगा? और यदि ऐसा होगा तो यह किसके खिलाफ होगा- राज्यों, केंद्र या मौजूदा सांसदों के खिलाफ?