भारत ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रताले जलविद्युत परियोजनाओं से संबंधित हेग के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) के ताजा फैसले को पूरी तरह खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस फैसले को "पाकिस्तान के इशारे पर नई चाल" करार देते हुए कहा कि भारत ने इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय की वैधता को कभी स्वीकार नहीं किया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह कोर्ट 1960 के सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) का उल्लंघन करते हुए गठित किया गया है, और इसलिए इसके किसी भी फैसले या कार्यवाही को भारत अवैध और अमान्य मानता है।