भारत ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रताले जलविद्युत परियोजनाओं से संबंधित हेग के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) के ताजा फैसले को पूरी तरह खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस फैसले को "पाकिस्तान के इशारे पर नई चाल" करार देते हुए कहा कि भारत ने इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय की वैधता को कभी स्वीकार नहीं किया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह कोर्ट 1960 के सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) का उल्लंघन करते हुए गठित किया गया है, और इसलिए इसके किसी भी फैसले या कार्यवाही को भारत अवैध और अमान्य मानता है।
किशनगंगा और रातले प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान की 'नई चाल', भारत ने ये किया
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- 28 Jun, 2025
Indus Water Treaty: भारत ने किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं पर हेग कोर्ट के फ़ैसले को खारिज़ कर दिया है और इसे पाकिस्तान का "नया नाटक" बताया है। इसे 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन माना गया है।
