यदि यह पुष्ट हो जाए कि देश में कोरोना की यह भयावह दूसरी लहर 'डबल म्यूटेंट' के कारण ही है तो इसके लिए एक बड़ी लापरवाही ज़िम्मेदार होगी। इतनी बड़ी लापरवाही किसकी होगी? इसका जवाब विशेषज्ञों के इस तथ्य से मिल जाएगा- जिस 'डबल म्यूटेंट' पर इतना शोर है इसका पता पिछले साल 5 अक्टूबर को ही चल गया था। यह संभव हुआ था जीनोम सिक्वेंसिंग से। लेकिन इस जीनोम सिक्वेंसिंग का काम तब आगे नहीं बढ़ सका था। इसका मतलब है कि लापरवाही बरती गई। इसके लिए फंड नहीं दिया गया, कोई निर्देश नहीं दिया गया था। नीति नहीं बनाई गई थी। जनवरी तक ऐसा ही चलता रहा, लेकिन जब कोरोना बढ़ना शुरू हुआ तो ज़िम्मेदारों की नींद खुली! लेकिन अब तो विशेषज्ञों को अंदेशा है कि अब 'ट्रिपल म्यूटेंट' जैसा स्ट्रेन आ गया है। सवाल है कि इस लापरवाही का कितना बड़ा नुक़सान हुआ?
'डबल म्यूटेंट' की जाँच में देरी करने से बेकाबू हुआ कोरोना?
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- 20 Apr, 2021
देश में कोरोना के 'डबल म्यूटेंट' का पता जीनोम सिक्वेंसिंग से पिछले साल 5 अक्टूबर को ही चल गया था। इस जीनोम सिक्वेंसिंग के काम में तेज़ी नहीं लाई गई, नीति नहीं बनी। इसके लिए फंड नहीं दिया गया, कोई निर्देश नहीं दिया गया। इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है?

विशेषज्ञों का कहना है कि देश में कोरोना संक्रमण के जो ताज़ा हालात हैं उसमें भारत में ही पाए गए कोरोना के नये स्ट्रेन ‘डबल म्यूटेंट’ का हाथ हो सकता है। हालाँकि, इसकी स्पष्ट तौर पर पुष्टि नहीं हो पाई है। जिस स्ट्रेन का पता अक्टूबर में ही चल गया उसके बारे में अप्रैल महीने तक ज़्यादा जानकारी नहीं है तो क्या इसकी जाँच में देरी नहीं की गई?