NCERT Operation Sindoor: ऑपरेशन सिन्दूर के तमाम पहलुओं के बारे में एनसीईआरटी ने विभिन्न कक्षाओं के लिए मॉड्यूल तैयार किया है। इन्हें अलग-अलग क्लास में बच्चों को बताया जाएगा। लेकिन इस मॉड्यूल में करगिल युद्ध या 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिक्र नहीं है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर नए शैक्षिक मॉड्यूल जारी किए हैं, जिसमें इसे "सैन्य सफलता, तकनीकी उपलब्धि और राजनीतिक संदेश का कोऑर्डिनेशन" बताया गया है। ये मॉड्यूल कक्षा 3 से 12 तक के छात्रों के लिए तैयार किए गए हैं। कहा गया है कि मई 2025 में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किए गए निर्णायक सैन्य अभियान की कहानी को रोचक और डॉयलॉग शैली में पेश किया गया है। लेकिन सवाल ये है कि पाकिस्तान के खिलाफ करगिल युद्ध और 1971 के युद्ध में सेना की शौर्य गाथा को इसमें क्यों नहीं शामिल किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े कुछ और भी पहलू हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने 30 बार दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच यह युद्ध (ऑपरेशन सिंदूर) उन्होंने रुकवाया। भारत ने इसका कई बार खंडन भी किया। पाकिस्तान ने आजतक पहलगाम हमले में अपना हाथ होने की जिम्मेदारी स्वीकार नहीं की है। हालांकि भारत ने कहा कि उसके पास सबूत हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के लड़ाकू विमानों को गिराने का दावा पाकिस्तान ने किया। भारत के कुछ सैन्य अधिकारियों ने एकाध विमानों या मामूली नुकसान होने की बातें कहीं। लेकिन एनसीईआरटी में इन तथ्यों का कोई जिक्र नहीं है।
ऑपरेशन सिंदूर, जिसे 7 मई 2025 को रात 1:05 बजे शुरू किया गया, न केवल एक सैन्य अभियान था, बल्कि यह उन लोगों के सम्मान में एक वादा था, जिन्होंने आतंकी हमले में अपनी जान गंवाई थी। मॉड्यूल में बताया गया है कि इस अभियान का नाम 'सिंदूर' पीड़ितों की विधवाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए चुना गया, क्योंकि सिंदूर वैवाहिक बंधन का प्रतीक है। प्रधानमंत्री के हवाले से कहा गया है कि इस नामकरण से देश की नेतृत्व और सशस्त्र सेनाओं ने पीड़ितों के प्रति एकजुटता, सहानुभूति और सम्मान व्यक्त किया।
एनसीईआरटी ने दो मॉड्यूल जारी किए हैं: एक कक्षा 3 से 8 के लिए, जिसका शीर्षक है "ऑपरेशन सिंदूर - एक वीरता की गाथा", और दूसरा कक्षा 9 से 12 के लिए, जिसका शीर्षक है "ऑपरेशन सिंदूर - सम्मान और वीरता का मिशन"। ये मॉड्यूल पाठ्यपुस्तकों से अलग हैं और स्कूलों के लिए अतिरिक्त संसाधन के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं। ये शिक्षक और छात्रों के बीच संवाद के रूप में पेश किए गए हैं, जो ऑपरेशन की पृष्ठभूमि, इसके सैन्य और तकनीकी पहलुओं, और इसके सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों को समझाने में मदद करते हैं।
मॉड्यूल में 2019 के पुलवामा आतंकी हमले का भी जिक्र है, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे, और उसके बाद बालाकोट हवाई हमले का उल्लेख किया गया है। यह भी बताया गया है कि 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास को बढ़ावा मिला, जिसमें बेहतर स्कूल, बुनियादी ढांचे और रिकॉर्ड पर्यटकों का आना शामिल हैं।
एनसीईआरटी मॉड्यूल में सैन्य और तकनीकी उपलब्धियां
मॉड्यूल में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को भारत की स्वदेशी डिफेंस तकनीक की ताकत के रूप में बताया गया है। केवल 22 मिनट में, भारतीय सेना और वायु सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख केंद्र मुरिदके और बहावलपुर शामिल थे, को सटीक हमलों से नष्ट कर दिया। इस अभियान में स्वदेशी हथियारों, राफेल और सुखोई-30 एमकेआई जैसे उन्नत जेट विमानों, ब्रह्मोस मिसाइलों और रियल-टाइम निगरानी प्रदान करने वाले ड्रोनों का उपयोग किया गया। इसरो के उपग्रहों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मॉड्यूल में यह भी बताया गया है कि भारत की बहु-स्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली, जिसमें एस-400 और आकाश सिस्टम शामिल हैं, ने पाकिस्तान के ड्रोन, तोपखाने और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हवाले से कहा गया है कि इस ऑपरेशन ने दिखाया कि "भारत अपने स्वदेशी हथियारों से किसी भी दुश्मन की रक्षा प्रणाली को भेद सकता है।"
ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिक और सामाजिक संदेश
ऑपरेशन सिंदूर को न केवल सैन्य और तकनीकी नजरिए से महत्वपूर्ण बताया गया है, बल्कि इसे एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने वाला भी बताया गया है। मॉड्यूल में कहा गया है कि यह ऑपरेशन "भारत की एकता और साहस" का प्रतीक है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसारन घाटी में द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा किए गए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे। इस हमले के बाद पूरे देश में एकजुटता दिखाई गई। मुस्लिम समुदायों ने काले रंग की पट्टियां बांधीं, और सीमावर्ती गांवों ने सशस्त्र बलों के साथ मजबूत कार्रवाई की मांग की। मॉड्यूल में उल्लेख किया गया है कि इस आतंकी हमले का उद्देश्य समुदायों के बीच डर और नफरत पैदा करना था, लेकिन लोगों ने एकता और साहस का रास्ता चुना।
एनसीईआरटी की पहल पर कुछ सवाल
ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताने की एनसीईआरटी की पहल अच्छी हो सकती है लेकिन बाकी युद्धों का जिक्र न होने से कुछ सवाल भी उठते हैं। एक स्वाभाविक सवाल तो यही है कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1999 के करगिल युद्ध जैसी ऐतिहासिक सैन्य उपलब्धियों को एनसीईआरटी के मॉड्यूल में प्रमुख स्थान क्यों नहीं दिया गया। ये दोनों युद्ध भी भारत की सैन्य शक्ति, रणनीतिक कौशल और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक रहे हैं। 1971 का युद्ध, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ, और करगिल युद्ध, जिसमें भारतीय सेना ने विषम परिस्थितियों में विजय प्राप्त की, न केवल सैन्य इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि ये देश की एकता और बलिदान की भावना को भी दर्शाते हैं। इन युद्धों को शामिल न करने से नई पीढ़ी को भारत के गौरवशाली अतीत से पूरी तरह परिचित कराने में कमी रह जाएगी।
करगिल युद्ध का विशेष उल्लेख इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में लड़ा गया था, जिन्हें बीजेपी के सबसे लोकप्रिय नेताओं में आज भी माना जाता है।
इसके बावजूद, करगिल युद्ध को एनसीईआरटी के मॉड्यूल में शामिल न करना कई सवाल खड़े करता है। करगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में, पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर अपनी वीरता और रणनीतिक क्षमता का परिचय दिया था। ऑपरेशन की सफलता और उसमें शहीद हुए सैनिकों का बलिदान आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। फिर भी, एनसीईआरटी द्वारा इस युद्ध को मॉड्यूल में शामिल न करने का कारण स्पष्ट नहीं है। यह संभव है कि सरकार और एनसीईआरटी हाल की घटनाओं को प्राथमिकता देकर समकालीन उपलब्धियों को उजागर करना चाहते हों, लेकिन ऐतिहासिक युद्धों की अनदेखी से पाठ्यक्रम का दायरा सीमित रह गया है। यह सवाल निश्चित रूप से सरकार और शिक्षा मंत्रालय से पूछा जाना चाहिए कि क्या वे इन ऐतिहासिक घटनाओं को उचित स्थान देने की योजना बना रहे हैं।
NCERT मॉड्यूल की सामग्री के चयन पर सवाल
यह सवाल भी पूछा जाना जरूरी है कि शैक्षिक मॉड्यूल का चयन और सामग्री का निर्धारण किस आधार पर किया जाता है। यदि ऑपरेशन सिंदूर जैसे हाल के अभियान को शामिल किया जा सकता है, तो 1971 और करगिल जैसे युद्धों को शामिल करने में क्या बाधा है? ये युद्ध न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनसे जुड़े सामाजिक, राजनीतिक और कूटनीतिक पहलू भी छात्रों को राष्ट्रीय इतिहास और वैश्विक संदर्भ को समझने में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, 1971 का युद्ध भारत की कूटनीतिक सफलता और मानवीय मूल्यों का प्रतीक है। बांग्लादेश का अस्तित्व इसी युद्ध के दौरान और इसी वजह से आया था। इसी तरह, करगिल युद्ध ने विश्व मंच पर भारत की संयमित, लेकिन दृढ़ प्रतिक्रिया को प्रदर्शित किया। एनसीआईआरटी से जुड़े अन्य विवादित मामले