राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की स्थापना 1961 में ऐसी पाठ्यपुस्तकें तैयार करने के लिए हुई थी, जो वैज्ञानिक और संतुलित दृष्टिकोण के साथ पूरे देश में पढ़ाई जा सकें। एनसीईआरटी की किताबें अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाती थीं, और सिविल सेवा जैसे परीक्षाओं की तैयारी में भी इनका उपयोग होता था। लेकिन हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2014 के बाद, एनसीईआरटी पर शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लग रहा है। आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रभाव में इतिहास को हिंदू-मुस्लिम संघर्ष के चश्मे से दिखाने की कोशिश हो रही है। इसका ताजा उदाहरण है 2025-26 सत्र के लिए प्रकाशित की गयी कक्षा 8 की नई किताब Exploring Society: India and Beyond (Part 1), को लेकर विवाद छिड़ा है। इस किताब में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल को बेहद नकारात्मक और अंधकारयुग के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
बच्चों के दिमाग़ में मुग़लों के नाम पर ज़हर भरती एनसीईआरटी?
- विश्लेषण
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- 16 Jul, 2025

NCERT ने आठवीं क्लास की कोर्सबुक में इतिहास बदल दिया। नए इतिहास में मुगल बादशाह अकबर को महान की जगह क्रूर बताया गया है।
उदाहरण के लिए, किताब में लिखा है कि सल्तनत काल में "बौद्ध, जैन और हिंदू मंदिरों पर कई हमले हुए, जो लूटपाट और मूर्तिभंजन से प्रेरित थे।" जजिया को "अपमानजनक कर" बताया गया है, जो गैर-मुस्लिमों पर धर्मांतरण के लिए दबाव बनाने के उद्देश्य से लगाया जाता था। बाबर को "क्रूर और निर्मम विजेता" कहा गया है, जिसने "शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम किया और महिलाओं-बच्चों को गुलाम बनाया।" अकबर का शासन "क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण" बताया गया है, और औरंगजेब पर मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने का आरोप लगाया गया है। एनसीईआरटी का कहना है कि यह सब सत्य बातें हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या पूरे सल्तनत और मुग़ल काल की पूरी तस्वीर इतनी ही है? और यह अन्य राजतंत्रों से अलग कैसे है?