बात 1957 की है। तमिलनाडु (मद्रास) में के. कामराज मुख्यमंत्री थे। रास्ते में उन्होंने एक व्यक्ति को देखा, जो अपने बच्चे के साथ कहीं जा रहा था। कामराज ने उससे पूछा कि क्या बच्चा स्कूल जाता है? उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि जब वह कुछ काम करेगा, तो दो पैसा कमाएगा। तभी खाना खाएगा। स्कूल जाने का समय कहाँ है? के. कामराज ने उस व्यक्ति से पूछा कि अगर बच्चे को खाना मिले तब उसे स्कूल भेजोगे? व्यक्ति ने जवाब दिया- बिल्कुल हुजूर! के. कामराज ने लौटकर अपने उच्च अधिकारियों को निर्देश दिया कि स्कूल में बच्चों के खाने की व्यवस्था की जाए। इसके बाद एक स्थान पर गेहूँ का नमकीन दलिया बनाया जाता फिर एक वैन में रखकर स्कूल पहुँचाया जाता। बच्चे अपने हाथ से निकालकर नमकीन दलिया खाते और पढ़ाई करते। यही व्यवस्था आगे चलकर स्कूलों में मिड डे मील कहलाई।