नरेंद्र मोदी चुनावी प्रचार के लिए खासे मशहूर हैं। लोकसभा और विधानसभा तो क्या, नगर पालिका के चुनाव में भी वह प्रचार करने में संकोच नहीं करते हैं। वह आख़िर हरियाणा चुनाव से दूरी क्यों बनाए दिखते हैं?
हरियाणा में राहुल गांधी की अभी तक दो चुनावी रैलियां हो चुकी हैं। लेकिन उनकी दोनों रैलियों के भाषण पर देशभर में चर्चा हो रही है। राहुल गांधी ने दरअसल महात्मा गांधी के सिद्धांतों को नए तरीके से पेश किया है। युवा, बुजुर्ग, महिलाएं, किसान, मजदूर सभी राहुल की बात को गौर से सुन रहे हैं। मोदी सरकार के लिए महात्मा गांधी के विचार राहुल गांधी के जरिये चुनौती बनते जा रहे हैं।
राहुल गांधी के अमेरिकी दौरे पर आरक्षण वाले बयान पर भीमराव आंबेडकर के प्रपौत्र राजरत्न आंबेडकर ने बड़ा खुलासा किया है। जानिए, उन्होंने क्यों कहा कि राहुल के ख़िलाफ़ आंदोलन करने के लिए बीजेपी ने उनसे संपर्क किया।
हरियाणा चुनाव के लिए कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन नहीं हो पाया तो दिल्ली के लिए भी होना मुश्किल ही है। तो अब केजरीवाल का क़दम क्या होगा? जानिए, आख़िर मौजूदा राजनीति में उनकी हैसियत क्या है।
राहुल गांधी के अमेरिका यात्रा के दौरान आरक्षण के दिए बयान को आख़िर बीजेपी से लेकर बीएसपी तक क्यों मुद्दा बना रहे हैं? क्या राहुल गांधी का आरक्षण पर विचार बदल गया है या फिर उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है?
आरएसएस ने अनायास ही तमाम किन्तु-परन्तु के साथ जाति जनगणना का समर्थन नहीं किया है। उसके पीछे नेता विपक्ष राहुल गांधी का दबाव है। हकीकत यह है कि आरएसएस और भाजपा आज अगर सबसे ज्यादा किसी से परेशान हैं तो वो हैं राहुल गांधी। दलितों और आदिवासियों को अपनी साम्प्रदायिक कहानियां सुनाकर आरएसएस ने जिस तरह उन्हें प्रदूषित किया था, उसका मुकाबला राहुल गांधी ने किया। दलित-आदिवासी राहुल की बात को समझ रहे हैं। संघ इसीलिए जाति जनगणना पर उछलकूद कर रहा है। राजनीतिक विश्लेषक रविकान्त को पढ़िएः
स्मृति ईरानी की पूरी राजनीति राहुल गांधी के खिलाफ ही विकसित हुई है। जिन्होंने हमेशा राहुल गांधी का मजाक उड़ाया और अपमान किया, वे स्मृति ईरानी आज राहुल गांधी की राजनीति को गंभीरता से लेने की बात क्यों कर रही हैं?
सरकार में उच्चस्तर पर सरकारी नीतियां बनाने वाली नौकरशाही में लैटरल एंट्री 2018 से ही मोदी सरकार ला चुकी है। अंडर सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के ये अधिकारी सारे निर्णय लेते हैं। मोदी सरकार ने अब 45 पदों के लिए फिर से लैटरल एंट्री का विज्ञापन दिया है। 57 अधिकारी लैटरल एंट्री के जरिए पहले से ही काम कर रहे हैं। लेकिन मोदी सरकार ये सब क्यों कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक रविकान्त का विश्लेषणः
नरेंद्र मोदी अब सेक्युलर दलों की बैसाखियों के सहारे सरकार चला रहे हैं। क्या चुनाव में हार के बाद अचानक भाजपा धर्मनिरपेक्षता का ढोंग करने लगी है? आख़िर वह सिविल कोड को सांप्रदायिक कहकर क्या संदेश दे रहे हैं?
सावरकार ने आज़ादी से वर्षों पहले द्विराष्ट्रवाद का सिद्धांत रखा था। उनका कहना था कि भारत में हिन्दू और मुस्लिम दो राष्ट्र हैं। उन्होंने हिंदू राष्ट्र का विचार रखा था। तो सवाल है कि इस हिंदुत्व ने आज़ादी के बाद से देश को किस तरह प्रभावित किया?
सुल्तानपुर में कोर्ट की पेशी पर जाने के दौरान राहुल गांधी ने एक मोची रामचेत के परिवार से मुलाक़ात की। जानिए, देश के हज़ारों, लाखों और करोड़ों रामचेत की क्या दिक़्कतें हैं।
यूपी में भाजपा की करारी शिकस्त की चर्चा अभी तक जारी है। हालात ये हैं कि इस हार की वजह से भाजपा में अंदरुनी घमासान भी तेज हो गया है। भाजपा में तमाम खेमे योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री कुर्सी से उतारने की फिराक में जुटे हुए हैं। यूपी में भाजपा के हिन्दुत्व को दरअसल अंबेडकरवाद ने चुनौती दी है। जाने-माने टिप्पणीकार रविकान्त ने इसका गहन विश्लेषण किया है। पढ़िएः
यूपी की राजनीति में अब बड़ा सवाल यही है कि क्या गुजरात लॉबी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भारी पड़ेगी। योगी के साथ इस समय सिर्फ आरएसएस है। आरएसएस दाएं-बाएं से भाजपा आलाकमान (मोदी-शाह) पर हमले कर रहा है लेकिन मोदी से सीधा संघ कुछ भी खुलकर नहीं कह पा रहा। रविकान्त बता रहे हैं कि यूपी में योगी को हाशिए पर लाने की और क्या भाजपाई कोशिशें हो रही हैंः
कर्नाटक भाजपा के सात बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश जिगाजिनागी ने दलितों को लेकर आख़िर अपनी ही पार्टी के ख़िलाफ़ इस तरह खुलकर क्यों बोल रहे हैं? जानिए, बीजेपी में दलितों को लेकर क्या सोच रही है।
कांग्रेस द्वारा आरोप लगाया जाता रहा है कि विरोधी राहुल गांधी की छवि ख़राब करने के लिए करोड़ों रुपये बहा रहे हैं। तो ऐसा होने के बाद भी अब राहुल की लोकप्रियता तेजी से कैसे बढ़ने लगी?
उत्तर प्रदेश की 80 और महाराष्ट्र की 48 यानी कुल मिलाकर 128 सीटों में से भाजपा केवल 50 सीटें जीत सकी। इन प्रदेशों में भाजपा 40 फ़ीसदी सीटें भी जीतने में कामयाब नहीं हुई। जानें वजह।
मोहन भागवत से लेकर इंद्रेश कुमार तक चुनाव नतीजों को अहंकार से क्यों जोड़ रहे हैं? क्या संघ बीजेपी के ख़िलाफ़ हो गया है या फिर संघ की कुछ और ही ‘चाल’ है?
यूपी में भाजपा के पराजय पर विश्लेषणों का सिलसिला सत्य हिन्दी पर जारी है। रविकान्त इस बार के लोकसभा चुनाव में यूपी के दलितों और खासकर गैर जाटव मतदाओं के रुख का गणित बता रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने टिकट वितरण में आख़िर ऐसा क्या किया कि यूपी में एक नयी सोशल इंजीनियरिंग दीख रही है? बीजेपी अखिलेश के पीडीए फॉर्मूले से कैसे निपटेगी?
राहुल गांधी की बात पर विवाद करने वाले लोग कौन हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि हमारा ध्येय समाज के किसी नायक को भगवान बनाकर पूजना नहीं है बल्कि समाज के संघर्ष और उसकी आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति देना है?
क्या यूपी तीसरी बार नरेंद्र मोदी की ताजपोशी के लिए तैयार है? क्या हालात पहले जैसे ही रहे? यूपी में क्या भाजपा में अंदरूनी घमासान के बाद स्थिति कमजोर नहीं हुई है?
इस चुनाव में मतदाता बहुत शांत क्यों है? बेहद आक्रामक रहने वाले बीजेपी कार्यकर्ता, समर्थक और हिंदुत्ववादी उतने उत्साहित क्यों नहीं हैं? दस साल में आख़िर ऐसा क्या हुआ? जानिए, इसके पीछे क्या वजह है।
देश में भक्ति और आध्यात्मिकता की एक लंबी परंपरा लेकिन क्या राजनीति में यह भाव लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं है? जानिए आंबेडकर ने राजनीति में भक्ति या नायक पूजा को लेकर क्या चेताया था।