नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में भी लैटरल एंट्री को जारी रखते हुए 24 मंत्रालयों के 45 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया है। उप सचिव, संयुक्त सचिव और निदेशक जैसे उच्च  पदों पर होने वाली नियुक्तियों में कोई आरक्षण नहीं दिया गया है। गौरतलब है कि इन पदों पर बैठे हुए अधिकारी ही नीतियां बनाते हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने लैटरल एंट्री के जरिये होने वाली इन नियुक्तियों के विज्ञापन पर जोरदार हमला बोला है। उनका कहना है कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित लोगों की जगह पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और कॉरपोरेट घरानों से उच्च पदों पर नियुक्तियां की जा रही हैं। इनमें दलित, आदिवासी और पिछड़ों के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। आरक्षित वर्ग के अधिकारी पहले से ही कम हैं। लैटरल एंट्री के जरिये उनकी भागीदारी खत्म करने की सुनियोजित साजिश की जा रही है। नीति निर्धारक पदों पर एक खास विचारधारा और वर्ग से होने वाली इन नियुक्तियों के जरिये संविधान को बदला जा रहा है।