नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल के दो महीने के भीतर तीन बड़े फ़ैसले वापस लेने के लिए मजबूर हुए हैं। पहले, वक़्फ़ बोर्ड संपत्ति मामले में बिल लाकर भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिम समाज को एक बार फिर से खलनायक बनाने की कोशिश की, लेकिन एनडीए के सहयोगी दलों, खासकर, चंद्रबाबू नायडू के विरोध और नीतीश कुमार की खामोशी के कारण नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे जेपीसी को सौंप दिया। जाहिर तौर पर अब इस बिल का न तो वह स्वरूप होगा और न ही इसके ज़रिए भारतीय जनता पार्टी हिंदू मुसलमान राजनीति करने में कामयाब हो सकेगी। इसके बाद नए ब्रॉडकास्ट बिल को लेकर नरेंद्र मोदी ने बहुत मज़बूती के साथ क़दम बढ़ाया लेकिन विपक्ष के दबाव और लगातार बढ़ती असहमतियों की आवाजों के कारण सरकार यह बिल संसद में पेश करने से पहले ही पीछे हट गई। इसके बाद 20 अगस्त को एक बहुत महत्वपूर्ण फ़ैसला नरेंद्र मोदी ने वापस लिया।