सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उन लोगों को मुआवजा देने के लिए एक कानून की ज़रूरत है, जो लंबे समय तक जेल में रहने के बाद बरी हो जाते हैं। यह टिप्पणी एक ऐसे मामले में आई जिसमें 2011 के एक डबल मर्डर केस में मौत की सजा पाए एक व्यक्ति को दोषमुक्त किया गया। कोर्ट ने जांच में खामियों और सबूतों की कमी का हवाला देते हुए मंगलवार को यह फ़ैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने संसद से अपील की कि वह विदेशी न्याय प्रणालियों के प्रावधानों से प्रेरणा लेकर इस दिशा में क़ानून बनाए।
लंबी कैद के बाद बरी हुए लोगों को मुआवजा मिले, कानून बनाने पर विचार हो: SC
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- 16 Jul, 2025
क्या संसद सुप्रीम कोर्ट के उस सुझाव को अमल में ला पाएगी जिसको उसने सुझाव दिया है कि जो लोग वर्षों की जेल के बाद निर्दोष साबित होते हैं, उन्हें मुआवज़ा मिलना चाहिए?

सुप्रीम कोर्ट ने केरल में 2011 में एक युवा जोड़े की हत्या के मामले में कट्टावेल्लई उर्फ देवकर को बरी कर दिया। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में देवकर को निचली अदालत और हाई कोर्ट, दोनों ने दोषी ठहराया था और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, जस्टिस विक्रम नाथ, संजय करोल और संदीप मेहता की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पाया कि जांच में गंभीर खामियां थीं और डीएनए परीक्षण में प्रोफ़ेशनलिज़्म की कमी थी। जस्टिस संजय करोल ने 77 पेज के फैसले में लिखा, 'यह चिंताजनक है कि दोषसिद्धि का कोई आधार ही नहीं था, फिर भी अपीलकर्ता को वर्षों तक हिरासत में रखा गया।'