पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पेट्रोल-डीजल के रेट का मुद्दा उछाला और विपक्ष को घेरने की कोशिश की। उनके भाषण का मूल सार यह है कि अगर विपक्ष दल शासित राज्य अपना वैट घटा दें तो उन राज्यों में पेट्रोल डीजल सस्ता हो जाएगा।  हालांकि पेट्रोल - डीजल की कीमतें तेल कंपनियां तय कर रही हैं। जो केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीन काम करती हैं।  उसमें राज्य अपना टैक्स वसूलते हैं, पेट्रोल पंप वाले जिसकी भरपाई आम उपभोक्ता से करती हैं। यही पेच है। पीएम यह तो कह रहे हैं कि राज्य अपना वैट छोड़े लेकिन तेल कंपनियों से रेट कंट्रोल करने को नहीं कह रहे हैं। हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान साढ़े चार महीने तक पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े। लेकिन 10 मार्च को जब पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आ गए तो पेट्रोल-डीजल के दाम फिर से बढ़ने लगे। केंद्र सरकार ने इसकी वजह यूक्रेन-रूस युद्ध को बताया। हालात ये हैं कि पेट्रोल-डीजल की वजह से जिस तरह महंगाई बढ़ी है, उसे भी यूक्रेन-रूस युद्ध से सत्तारूढ़ दल के नेता जोड़ने में देर नहीं लगाते।