लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन यानी एसाईआर को लेकर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। राहुल गांधी ने इसे 'चुनाव चोरी' की साजिश करार देते हुए कहा कि यह कदम गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के वोट के अधिकार को छीनने का प्रयास है। राहुल ने यह बयान ओडिशा के भुवनेश्वर में 'संविधान बचाओ सम्मेलन' को संबोधित करते हुए दिया।
राहुल ने कहा, 'बीजेपी लगातार संविधान पर आक्रमण कर रही है। जिस तरह से महाराष्ट्र में चुनाव चोरी किया गया, उसी तरह से बिहार में चुनाव चोरी करने की कोशिश की जा रही है। चुनाव चोरी करने के लिए चुनाव आयोग ने नई साज़िश शुरू की है। चुनाव आयोग बीजेपी का काम कर रहा है, अपना काम नहीं कर रहा है।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, 'महाराष्ट्र के लोक सभा और विधानसभा चुनाव के बीच एक करोड़ नए वोटर आ गए, लेकिन अभी तक किसी को नहीं मालूम यह वोटर कौन थे और कहां से आए। हमने चुनाव आयोग से कई बार कहा कि- हमें वोटर लिस्ट दीजिए, वीडियो दीजिए, लेकिन चुनाव आयोग नहीं दे रहा। ये लोग बिहार का चुनाव भी चोरी करना चाहते हैं, पर हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे।'
विशेष गहन संशोधन पर विवाद क्यों?
चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन की घोषणा की थी। इसके तहत राज्य की 7.89 करोड़ मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में सभी मतदाताओं को एक गणना फॉर्म जमा करना होगा। 2003 के बाद मतदाता सूची में शामिल हुए मतदाताओं को अपना पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र जैसे नागरिकता का प्रमाण देने वाले दस्तावेज देने होंगे। कहा जा रहा है कि इतने कम समय में लोग ऐसे दस्तावेज कैसे दे सकते हैं? सवाल किया जा रहा है कि मतदाताओं को नागरिकता साबित करने के लिए चुनाव आयोग कैसे कह सकता है। सबसे बड़ा आरोप तो यह लगाया जा रहा है कि बिहार जैसे राज्य में बड़ी संख्या में लोग ऐसे दस्तावेज नहीं जमा कर पाएँगे और इस तरह वे मताधिकार से वंचित हो जाएँगे।
राहुल गांधी ने इस कदम को 'महाराष्ट्र मॉडल' की तरह बताया, जहां उन्होंने दावा किया कि 2024 के विधानसभा चुनावों में फर्जी मतदाताओं के सहारे भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र में चुनाव चोरी किया गया। वहां हर विधानसभा में जहां वोटर बढ़े, वहां बीजेपी जीती। एक बिल्डिंग में 4-5 हजार वोटर रजिस्टर्ड हुए। जब हमने चुनावा आयोग से वोटर लिस्ट और वीडियोग्राफी मांगी, तो वे चुप हो गए। अब बिहार में भी यही साजिश रची जा रही है।' इसके साथ ही राहुल ने अडानी पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि 'ओडिशा हो या छत्तीसगढ़, सिर्फ एक ही नाम दिखाई देता है- अडानी.. अडानी.. अडानी...। मतलब अडानी ओडिशा की सरकार चलाते हैं, नरेंद्र मोदी को चलाते हैं।'
एसआईआर का महागठबंधन का विरोध
राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ने 9 जुलाई को पटना में 'बिहार बंद' का आयोजन किया। प्रदर्शनकारी पटना के बीरचंद पटेल रोड पर बीजेपी के राज्य मुख्यालय के पास इकट्ठा हुए जहाँ भारी पुलिस बल तैनात था। तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, 'चुनाव आयोग बीजेपी का एक अंग बन गया है। क्या गुजरात के दो लोग यह तय करेंगे कि कौन बिहारी वोट देगा और कौन नहीं?'
विपक्ष का आरोप है कि एसआईआर में नागरिकता साबित करने वाले बेहद मुश्किल दस्तावेज मांगने और 25 जुलाई की सख्त समयसीमा के कारण लाखों वोटर मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं।
विपक्ष का दावा है कि इस प्रक्रिया से खासकर ग्रामीण, प्रवासी, और हाशिए पर रहने वाले मुस्लिम, दलित, और गरीब समुदाय मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं। कई नेताओं ने इसे 2 करोड़ से अधिक मतदाताओं को वंचित करने की साजिश करार दिया तो कई ने इसे 'बैकडोर एनआरसी' बताया।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि एसआईआर का मक़सद मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना और अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाना है। आयोग ने यह भी दावा किया कि 2003 से पहले के 4.96 करोड़ मतदाताओं को केवल अपनी जानकारी की पुष्टि करनी होगी, जबकि नए मतदाताओं को अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में भी पहुँचा। 10 जुलाई 2025 को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने एसआईआर की संवैधानिकता पर सवाल उठाए। कोर्ट ने ईसीआई को सुझाव दिया कि आधार, मतदाता पहचान पत्र, और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को भी स्वीकार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस प्रक्रिया के समय पर भी सवाल उठाए, लेकिन चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक जवाब दाखिल करने और अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की। आरजेडी सांसद मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और अन्य विपक्षी नेताओं ने इस मामले में याचिकाएँ दायर की हैं।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक नौटंकी करार दिया है। पटना साहिब के सांसद रवि शंकर प्रसाद ने कहा, 'केवल भारतीय नागरिक ही वोट दे सकते हैं। मतदाता सूची का संशोधन एक सामान्य प्रक्रिया है। विपक्ष को इसमें क्या समस्या है?' बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वे चुनाव आयोग को निशाना बना रहे हैं।
बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर छिड़ा यह विवाद न केवल राजनीतिक माहौल को गर्म कर रहा है, बल्कि यह लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा रहा है। सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला इस विवाद को नई दिशा दे सकता है।