नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बैंक कर्मचारी संगठन के लोगों से मुलाकात की।
हालांकि सरकार और कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह 16 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा बैंकों द्वारा "राइट-ऑफ" किए गए नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स (NPA) का है, न कि सीधे सरकार द्वारा माफ किया गया कर्ज। राइट-ऑफ एक तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें बैंक अपने खातों से खराब कर्ज को हटाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कर्जदार को पूरी तरह माफी मिल गई। फिर भी, राहुल गांधी इसे "मोदी सरकार की नीति" बताकर बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नीतियों ने बैंकों को कमजोर किया है, जिससे आम जनता का भरोसा भी डगमगाया है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि सरकार ने बैंकों को मजबूत करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं दी, और बड़े कर्जदारों को बचाने के लिए नियमों को ढीला किया गया।
राइट-ऑफ का मतलब यह नहीं है कि कर्ज पूरी तरह माफ हो गया। यह एक लेखा प्रक्रिया है, जिसमें बैंक अपने खातों से खराब कर्ज को हटाते हैं, लेकिन रिकवरी की कोशिश जारी रखते हैं। सरकार का कहना है कि इससे बैंकों के बैलेंस शीट को साफ करने में मदद मिलती है।