एनसीपी में फूट मामले में चुनाव आयोग के फ़ैसले के आधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़े सवाल उठाए हैं। दल बदलने वाले गुट को असली पार्टी के रूप में मान्यता देने की मौजूदा प्रवृत्ति की सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना की और इसे मतदाताओं की अंतरात्मा का मजाक बताया। सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी से जुड़े मामले में शरद पवार गुट की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
असली एनसीपी बताने के तौर-तरीके मतदाता की अतंरात्मा का मजाक: SC
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- 19 Mar, 2024
क्या अजित पवार खेमे को असली एनसीपी बताने का जो आधार चुनाव आयोग ने तय किया वह संवैधानिक रूप से सही नहीं था? जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने आख़िर क्यों कहा कि वह फ़ैसला मतदाता का मजाक है।

एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने चुनाव आयोग द्वारा अजित पवार गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न दिए जाने को चुनौती दी है। इसकी मुख्य चिंता लोकसभा चुनाव में अजित पवार गुट के घड़ी चुनाव चिह्न का इस्तेमाल को लेकर है। अदालत ने यह साफ़ तौर पर कहा कि मौजूदा स्थिति संविधान की दसवीं अनुसूची को दरकिनार कर देती है, जिसे दलबदल और उसके बाद की राजनीतिक अस्थिरता पर रोक लगाने के लिए लागू किया गया था।