श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से हर रोज़ एक-एक लाख से ज़्यादा प्रवासी मज़दूरों को एक ही जगह पर पहुँचाने पर स्थिति को संभालना उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए क्या मुश्किल हो जाएगा? दोनों राज्यों ने केंद्र को पत्र लिखकर माँग की है कि इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। जहाँ बिहार चाहता है कि इन ट्रेनों को मज़दूरों के उनके गृह ज़िले के स्टेशनों तक ले जाया जाए वहीं उत्तर प्रदेश ने कहा है कि इसके लिए राज्य में 9 रूटों पर लोकल ट्रेनें चलाई जाएँ।