श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से हर रोज़ एक-एक लाख से ज़्यादा प्रवासी मज़दूरों को एक ही जगह पर पहुँचाने पर स्थिति को संभालना उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए क्या मुश्किल हो जाएगा? दोनों राज्यों ने केंद्र को पत्र लिखकर माँग की है कि इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। जहाँ बिहार चाहता है कि इन ट्रेनों को मज़दूरों के उनके गृह ज़िले के स्टेशनों तक ले जाया जाए वहीं उत्तर प्रदेश ने कहा है कि इसके लिए राज्य में 9 रूटों पर लोकल ट्रेनें चलाई जाएँ।
ज़्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलीं तो बिहार, यूपी से नहीं संभलेगी स्थिति?
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- 21 May, 2020
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से हर रोज़ क़रीब एक-एक लाख प्रवासी मज़दूरों को एक ही जगह पर लाने की स्थिति को संभालना उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए मुश्किल हो जाएगा?

दरअसल, इन दोनों राज्यों के सामने उन प्रवासी मज़दूरों को एक ही जगह पर ट्रेनों से उतरने के बाद उन्हें उनके गृह ज़िलों में ले जाने की व्यवस्था करने में दिक्कतें आ रही हैं। यही कारण है कि दोनों राज्यों ने बड़ी संख्या में मज़दूरों के वापस लौटने पर अपनी सीमित क्षमता को लेकर चिंताएँ जताई हैं। पहले तो जिन राज्यों में ट्रेनें भेजी जानी थी उनसे सहमति लेने की ज़रूरत होती थी, लेकिन अब केंद्र सरकार ने उस पाबंदी को हटा दिया है। यानी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भेजने के लिए उन राज्यों से अब सहमति लेने की ज़रूरत नहीं है।