भारत की न्यायपालिका, जो लोकतंत्र का एक मज़बूत स्तंभ मानी जाती है, आज अपनी साख पर मंडराते संकटों से जूझ रही है। भ्रष्टाचार के आरोप, रिटायरमेंट के बाद जजों को मिलने वाली सरकारी नियुक्तियाँ, और कॉलेजियम सिस्टम की पारदर्शिता पर उठते सवालों ने जनता के भरोसे को डगमगाया है। हाल के कुछ घटनाक्रमों ने इन चिंताओं को और गहरा किया है।
कठघरे में मी लॉर्ड!
- विश्लेषण
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- 7 Jun, 2025

भारत की न्यायपालिका पर लगातार उठते सवाल- भ्रष्टाचार, रिटायरमेंट के बाद पद, कॉलेजियम सिस्टम की पारदर्शिता- क्या लोकतंत्र के इस स्तंभ की साख डगमगा रही है? जानिए गहराता संकट और संभावित समाधान।
जस्टिस यशवंत वर्मा प्रकरण
14 मार्च 2025 की होली की रात, दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर लगी आग ने एक सनसनीखेज खुलासा किया। आग बुझाने गई फ़ायर ब्रिगेड को वहाँ भारी मात्रा में जले हुए नोट मिले। इस घटना ने न्यायपालिका की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े किए। जस्टिस वर्मा ने दावा किया कि यह नकदी उनकी या उनके परिवार की नहीं थी और उनके ख़िलाफ़ साज़िश रची जा रही है। लेकिन इस घटना ने जनता के बीच संदेह को जन्म दिया।