भारत की न्यायपालिका, जो लोकतंत्र का एक मज़बूत स्तंभ मानी जाती है, आज अपनी साख पर मंडराते संकटों से जूझ रही है। भ्रष्टाचार के आरोप, रिटायरमेंट के बाद जजों को मिलने वाली सरकारी नियुक्तियाँ, और कॉलेजियम सिस्टम की पारदर्शिता पर उठते सवालों ने जनता के भरोसे को डगमगाया है। हाल के कुछ घटनाक्रमों ने इन चिंताओं को और गहरा किया है।