एआई तकनीक का डरावना चेहरा सामने आया! ट्रंप के डीपफेक वीडियो के ज़रिए 200 लोगों से ठगे गए 2 करोड़ रुपये। जानें कैसे हुआ ये साइबर फ्रॉड और आप कैसे रहें सुरक्षित।
एक एआई टूल। ट्रंप का एआई वीडियो बनाया। और 200 लोगों से ठग लिए 2 करोड़ रुपये। चौंक गए? एआई की चकाचौंध अब अपराध की दुनिया में भी अपनी चमक बिखेर रही है! दरअसल, साइबर ठगों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक एआई-जनरेटेड वीडियो के ज़रिए 200 से अधिक लोगों को चूना लगाया। यह एआई वीडियो इतना वास्तविक लग रहा था कि लोग इसके जाल में फँस गए, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई ने सबको हैरान कर दिया। आखिर कैसे हुआ यह हाई-टेक ठगी का खेल? पढ़िए पूरी कहानी!
यह मामला कर्नाटक में सामने आया है। साइबर अपराधियों ने एआई तकनीक का दुरुपयोग कर एक सनसनीखेज ठगी को अंजाम दिया है। इस घोटाले में साइबर अपराधियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक फर्जी, एआई-जनरेटेड वीडियो का इस्तेमाल किया। इसमें उन्हें एक कथित निवेश योजना को बढ़ावा देते हुए दिखाया गया। इस योजना में निवेशकों को कम समय में उनकी राशि दोगुनी करने का लुभावना वादा किया गया था। पुलिस के अनुसार, यह घोटाला बेंगलुरु, तुमकुरु, मंगलुरु, हावेरी और कर्नाटक के अन्य शहरों में फैला हुआ था।
अपराधियों ने एक फर्जी मोबाइल एप्लिकेशन बनाया। इसका नाम 'ट्रम्प वेल्थ क्रिएटर' से मिलता-जुलता था। इस एप को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और मैसेजिंग ऐप्स जैसे व्हाट्सएप और टेलीग्राम के ज़रिए प्रचारित किया गया। एप के प्रचार के लिए एक वीडियो का उपयोग किया गया, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप की आवाज़ और तस्वीर को एआई तकनीक के ज़रिए इतनी सटीकता से बनाया गया था कि आम लोग इसे असली मान बैठे।
उस एआई वीडियो में ट्रंप को यह कहते हुए दिखाया गया कि यह निवेश योजना 'अमेरिकी तकनीक और विशेषज्ञता' पर आधारित है और इसमें निवेश करने वालों को 100% रिटर्न की गारंटी है।
लोगों को इस एप में पंजीकरण करने और न्यूनतम 10,000 रुपये से लेकर लाखों रुपये तक निवेश करने के लिए लालच दिया गया। कुछ लोगों ने अपनी जीवन भर की बचत, पेंशन की राशि और यहाँ तक कि उधार लिया हुआ पैसा भी इस योजना में लगा दिया।
पुलिस को मिली शिकायतों के अनुसार, पीड़ितों में नौकरीपेशा लोग, छोटे व्यवसायी, रिटायर्ड कर्मचारी और गृहिणियाँ शामिल हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक 38 वर्षीय वकील ने दावा किया कि उन्होंने इस साल 25 जनवरी से 4 अप्रैल के बीच 5,93,240 रुपये जमा किए। उन्होंने कहा, 'इस साल जनवरी में मुझे यूट्यूब पर शॉर्ट्स वीडियो दिखे, जिसमें डोनाल्ड ट्रम्प होटल में निवेश करने का ऑफर था। लिंक पर क्लिक करने पर मुझे एक मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए कहा गया। मुझे एक फॉर्म भरने को कहा गया, जो मैंने भर दिया। इसके साथ ही बैंक खाते की जानकारी और आईएफ़एससी कोड भी मांगा गया।'
वकील ने कहा कि इसके बाद उनसे 1,500 रुपये की जमा राशि देने को कहा गया, जिसके बदले उनके प्रोफाइल में 30 रुपये जमा किए गए। उन्होंने कहा, 'मुझे हर दिन 30 रुपये मिलते थे और मैं इसे तभी निकाल सकता था जब यह 300 रुपये से अधिक हो जाए। चूँकि पैसा समय पर मिल रहा था और मैं इसे निकाल पा रहा था, इसलिए उन्होंने मुझसे और निवेश करने को कहा। यह 5,000 रुपये से शुरू हुआ और 1,00,000 रुपये तक पहुंच गया। आखिरकार, उन्होंने पैसे निकालने के लिए टैक्स देने को कहा, लेकिन बाद में उन्होंने पैसे वापस नहीं किए।'
उन्होंने कहा, 'कुछ दिन ऐसे थे जब उन्होंने मुझे 1,00,000 रुपये के निवेश पर 24 घंटे में 1,00,000 रुपये के रिटर्न का लालच दिया। मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूं जो पुलिस, सरकारी विभागों और व्यवसायियों में हैं, जिन्होंने अपने पैसे गँवा दिए।' ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं जिसमें लोगों ने बताया है कि उन्हें व्हाट्सएप पर एक लिंक मिला था, जिसमें ट्रम्प का वीडियो था और दावा किया गया था कि यह एक 'सीमित समय की पेशकश' है। जब उन्होंने रिटर्न मांगा तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला और एप से उनका संपर्क टूट गया।
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब कई पीड़ितों ने बेंगलुरु और अन्य शहरों में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायतें दर्ज कीं। कर्नाटक पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने इस मामले की जाँच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह घोटाला एक संगठित साइबर अपराधी गिरोह द्वारा चलाया जा रहा था, जो संभवतः भारत के बाहर से संचालित हो रहा था।
रिपोर्टों के अनुसार पुलिस ने बताया कि अपराधियों ने फर्जी सर्वर और क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट का इस्तेमाल किया, जिससे पैसे का लेन-देन ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है।
यह घटना डिजिटल युग में एआई तकनीक के बढ़ते दुरुपयोग को दिखाती है। जानकारों का कहना है कि डीपफेक और एआई-जनरेटेड वीडियो का उपयोग साइबर अपराधियों के लिए एक नया हथियार बन गया है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि एआई तकनीक अब इतनी उन्नत हो चुकी है कि फर्जी वीडियो और आवाज़ को असली से अलग करना आम लोगों के लिए लगभग असंभव है। लोगों को चाहिए कि वे किसी भी निवेश योजना में पैसा लगाने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें।
कर्नाटक पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे अनजान मोबाइल एप्स, वेबसाइट्स या सोशल मीडिया लिंक्स पर भरोसा न करें।
यह ठगी न केवल वित्तीय नुक़सान का मामला है, बल्कि यह भी दिखाता है कि तकनीक का दुरुपयोग कितना ख़तरनाक हो सकता है। कर्नाटक पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने और अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता बढ़ाने की अपील की है। इस बीच, जांच जारी है और पुलिस ने आश्वासन दिया है कि अपराधियों को जल्द ही पकड़ा जाएगा।