क्या देश में दलितों के हालात बदले हैं? यदि कोई यह तर्क देता है कि अब दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचार नहीं होता है तो कर्नाटक की एक घटना और इस पर अदालत का फ़ैसला और उसकी टिप्पणी उसे ज़रूर पढ़नी चाहिए। कर्नाटक की एक जिला अदालत ने गुरुवार को 10 साल पुराने एक मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत 101 लोगों को दोषी ठहराया है। इसने 98 लोगों को आजीवन कारावास और बाकी दोषियों को पांच साल की सजा सुनाई है।
कर्नाटक कोर्ट- 'दलित उत्पीड़न नहीं रुका'; हिंसा के लिए 98 को आजीवन कारावास
- कर्नाटक
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- 25 Oct, 2024
कर्नाटक के कोप्पल जिले के मरुकंबी गांव में 29 अगस्त 2014 को तीन दलित घरों में आग लगा दी गई थी और उनका उत्पीड़न हुआ था। जानिए, इस घटना पर कोर्ट ने क्या कहा और क्या फ़ैसला दिया।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
अदालत का यह फ़ैसला उस मामले में आया है जिसमें 29 अगस्त 2014 को कोप्पल जिले के मरुकंबी गांव में तीन दलित घरों में आग लगा दी गई थी। जाति-संबंधी हिंसा में 30 से अधिक लोग घायल हो गए थे। दलित पुरुषों और महिलाओं को उनके घरों से घसीटकर बाहर निकाला गया और उन पर हमला किया गया था। तब इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था।