मनसे प्रमुख राज ठाकरे
भाजपा मुंबई में 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिंदे सेना 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। विशेष रूप से, मनसे ने इनमें से 22 सीटों पर भाजपा और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं, जिससे चुनावी लड़ाई तेज हो गई है। क्योंकि वोटों का संभावित विभाजन सिर्फ एमवीए यानी उद्धव या कांग्रेस पार्टी या एनसीपी शरद पवार का ही नुकसान नहीं करेगा। मनसे सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के दलों के वोट शेयर में भी सेंध लगााएगी।
मुंबई के माहिम और वर्ली निर्वाचन क्षेत्रों के मुकाबलों ने पहले ही काफी दिलचस्पी पैदा कर दी है। माहिम, विशेष रूप से, एक युद्ध का मैदान बन गया है, जहां मनसे नेता और राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे एकनाथ शिंदे की पार्टी के सदा सर्वंकर को चुनौती दे रहे हैं, जो तीन-तरफा मुकाबले का मंच बन गया है। और सबसे बड़ी बात तो इस सीट पर ये है कि भाजपा यहां अमित ठाकरे का समर्थन कर रही है। जबकि गठबंधन धर्म के नाते उसे शिंदे की पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन करना चाहिए था।
मनसे की रणनीति समझिएः मनसे रणनीतिक रूप से शहर में कुछ हाई-प्रोफाइल भाजपा हस्तियों को चुनौती नहीं दे रही है। जिनमें विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर (कोलाबा), मुंबई भाजपा प्रमुख आशीष शेलार (बांद्रा पश्चिम), राज्य भाजपा कोषाध्यक्ष मिहिर कोटेचा (मुलुंड) और मंगल प्रभात लोढ़ा (मालाबार हिल) प्रमुख हैं। यानी मनसे व्यावहारिक रूप से भाजपा का साथ तो दे रही है लेकिन उसने शिंदे सेना को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। एक तरह से भाजपा राज ठाकरे और उनकी पार्टी को भविष्य की रणनीति के हिसाब से पालपोस रही है। वो आज भी उद्धव ठाकरे को चुनौती देने के लिए राज ठाकरे को सबसे उपयुक्त मानती है।