हथेली पर लिखा सुसाइड नोट (दाएँ)। फोटो साभार- एक्स/@VijayWadettiwar
महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी है। फलटण उप-जिला अस्पताल की एक महिला डॉक्टर ने पुलिसकर्मी के बलात्कार और उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली। डॉक्टर ने अपनी हथेली पर सुसाइड नोट लिखा। उन्होंने इसमें पुलिस सब-इंस्पेक्टर गोपाल बडने पर बलात्कार और मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाये। नोट में उन्होंने दावा किया कि बडने की लगातार प्रताड़ना के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। इस घटना के बाद गोपाल बडने को निलंबित कर दिया गया है। राज्य की विपक्षी पार्टियों ने इसको लेकर फडणवीस सरकार को घेरा है।
महिला डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, 'पुलिस इंस्पेक्टर गोपाल बडने मेरी मृत्यु का कारण है। उसने पांच महीने से अधिक समय तक मेरा चार बार बलात्कार किया। उसने मुझे बलात्कार, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार बनाया।' पीटीआई के अनुसार पीड़िता ने सब-इंस्पेक्टर गोपाल बडने पर कई मौकों पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जबकि प्रशांत बनकर नामक एक अन्य पुलिसकर्मी पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। वह इस घटना को लेकर पहले भी शिकायत कर चुकी थीं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
पहले भी की थी शिकायत
महिला डॉक्टर ने इससे पहले 19 जून को फलटण उप-मंडल कार्यालय के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस को एक पत्र लिखकर अपनी आपबीती साझा की थी। इस पत्र में उन्होंने फलटण ग्रामीण पुलिस विभाग के तीन अधिकारियों सब-इंस्पेक्टर गोपाल बडने, उप-मंडल पुलिस इंस्पेक्टर पाटिल और सहायक पुलिस इंस्पेक्टर लडपुत्रे पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि वह बेहद तनाव में हैं और इस गंभीर मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि, उनकी शिकायत पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं।
घटना की जाँच शुरू
अधिकारियों ने सुसाइड नोट की प्रामाणिकता सत्यापित करने तथा सभी कानूनी प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए इसकी फोरेंसिक जांच शुरू कर दी है। जाँच का उद्देश्य घटनाओं के क्रम और किसी भी आपराधिक कृत्य की सीमा का पता लगाना है। नोट में नामित पुलिस अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, न ही विभाग की ओर से उन आरोपों के संबंध में कोई औपचारिक प्रतिक्रिया आई है। हालाँकि एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि गोपाल बडने को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आदेश पर निलंबित किया गया है।
फडणवीस सरकार घिरी
इस घटना ने शुक्रवार को महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल मचा दी। विपक्षी दल कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने सत्तारूढ़ महायुति सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'जब रक्षक ही भक्षक बन जाए! पुलिस का कर्तव्य सुरक्षा करना है, लेकिन अगर वे खुद एक महिला डॉक्टर का शोषण करें, तो न्याय कैसे होगा? इस लड़की ने पहले शिकायत की थी, फिर भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? महायुति सरकार बार-बार पुलिस को संरक्षण देती है, जिसके कारण पुलिस अत्याचार बढ़ रहे हैं।'
वडेट्टीवार ने आगे कहा, 'इस मामले में केवल जांच का आदेश देना काफ़ी नहीं है। इन पुलिस अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए, अन्यथा वे जांच पर दबाव डाल सकते हैं। पहले की शिकायत को क्यों नजरअंदाज किया गया? जिन्होंने इसे अनदेखा किया और इन पुलिस अधिकारियों को संरक्षण दिया, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।'
जाँच का आश्वासन
सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में गहन जांच का आश्वासन दिया है। एनडीटीवी के अनुसार बीजेपी की विधान परिषद सदस्य और राज्य महिला अध्यक्ष चित्रा वाघ ने कहा, 'यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने सतारा के पुलिस अधीक्षक से बात की है। एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एक आरोपी सतारा से बाहर है, और उसे गिरफ्तार करने के लिए एक टीम गठित की गई है। जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा।' वाघ ने यह भी बताया कि डॉक्टर ने पहले शिकायत की थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा, "इस मामले में सब कुछ जांचा जाएगा। मैं सभी महिलाओं से अपील करती हूं कि इतना कठोर कदम न उठाएं। हमारी सरकार मदद के लिए तैयार है। ऐसी शिकायतों के लिए 112 हेल्पलाइन का उपयोग करें, कार्रवाई होगी।"
महिला आयोग ने लिया संज्ञान
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने इस घटना का संज्ञान लिया है और पुलिस को डॉक्टर की शिकायत पर कथित निष्क्रियता की जांच करने का निर्देश दिया है। आयोग ने सतारा के पुलिस अधीक्षक को फरार आरोपी की तत्काल खोजबीन करने और पूरे मामले की गहन जांच करने का निर्देश दिया है।
यह घटना पुलिस प्रशासन की जवाबदेही और महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर सवाल भी उठाती है। इस मामले में त्वरित और पारदर्शी जांच की मांग जोर पकड़ रही है, ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।