अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दो दिन की भारत यात्रा का हिसाब सामान्य कूटनीति के फ़ॉर्मूले से नहीं लगाया जा सकता क्योंकि यह सामान्य यात्रा नहीं थी। अपने कार्यकाल के आख़िर में और बिना ट्रेड निगोशियेटर (व्यापार वार्ताकार) को साथ लिए भी उन्होंने अगर 21 हज़ार करोड़ का सौदा कर लिया और कई क्षेत्रों में सहयोग के साथ भारतीय उद्यमियों को अमेरिका में निवेश करने के लिए राजी कर लिया तो निश्चित रूप से उनके पास अपनी जनता के सामने गिनवाने वाली काफ़ी उपलब्धियां हैं।
ट्रंप यात्रा: झंडियाँ लगाने और झाँकी पेश करने भर को हम मान बैठे हैं कूटनीति!
- विचार
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- 27 Feb, 2020

ट्रंप की भारत यात्रा के इस हिस्से को, जिस पर ख़र्च तो भारत सरकार ने किया लेकिन इसे निजी न्यौते पर हुई यात्रा कहा गया, जाहिर तौर पर अंतरराष्ट्रीय राजनयन में यह नई परिघटना है कि कोई अमेरिकी राष्ट्रपति सिर्फ़ अपनी शान दिखाने और ख़ुद को लोकप्रिय और ताक़तवर बताने के लिए किसी और देश के लोगों और साधनों का उपयोग करे।
लेकिन तय मानिए कि वह इन उपलब्धियों की जगह भारत में हुए भव्य स्वागत समारोह ‘नमस्ते ट्रंप’ की चर्चा ही करना पसन्द करेंगे क्योंकि अमेरिका में बसे भारतीय लोगों से अपनी नजदीकी बताने के साथ ही वह दुनिया को अपनी ‘लोकप्रियता’ दिखाना चाहते हैं।