परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल न करने को लेकर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयान को ख़ुद उनके ही विदेश मंत्रालय ने खंडन कर फिर यह दिखाया है कि पाकिस्तान की परमाणु और सैन्य नीति पाकिस्तान के नागरिक प्रशासन यानी राजनेताओं द्वारा संचालित नहीं होती बल्कि पाकिस्तान की सेना ही यह तय करती है। वह यह हिमाकत कर सकती है कि अपने ही प्रधानमंत्री के बयान को नकार दे। इससे इन आरोपों को एक बार फिर बल मिला है कि पाकिस्तान के राजनेता और नागरिक प्रशासन पाकिस्तान की सेना की कठपुतली ही है।
पीएम इमरान के परमाणु हमले वाले बयान से क्यों पलट गया पाक?
- विचार
- |
- |
- 5 Sep, 2019

परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल न करने को लेकर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयान को ख़ुद उनके ही विदेश मंत्रालय ने खंडन क्यों कर दिया? किसके दबाव में यह सब हुआ?
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का बयान पाकिस्तान के परमाणु सिद्धांत के विपरीत था इसलिए सामरिक हलकों में इस बात को लेकर हैरानी हो रही थी कि क्या पाकिस्तान ने अपना परमाणु सिद्धांत पलट दिया है? लेकिन इमरान ख़ान के बयान के एक दिन के भीतर ही पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने यह कह कर खंडन कर दिया कि प्रधानमंत्री के बयान को संदर्भ से बाहर जा कर उद्ध़ृत किया गया और पाकिस्तान की परमाणु नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।