बीआरएस नेता के. कविता ने पार्टी को बीजेपी में मिलाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए अपने भाई पर तीखा हमला बोला है। जानें बीआरएस में उठते सवाल और आंतरिक कलह की पूरी कहानी।
क्या केसीआर की बीआरएस को बीजेपी में विलय करने की कोशिश की जा रही है? कम से कम केसीआर की बेटी के कविता ने तो ऐसा ही दावा किया है। उन्होंने अपने भाई और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव यानी केटीआर पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए यह सनसनीखेज दावा किया है। तो क्या अब केसीआर में दरारें इतनी चौड़ी हो गई हैं कि इसके दो फाड़ होने की संभावना है?
कविता ने कहा कि बीआरएस को बीजेपी में विलय करने की साज़िश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि इसका उन्होंने जेल में रहते हुए विरोध किया था। यह बयान तेलंगाना की राजनीति में एक नए तूफान का संकेत देता है। कविता के अपने पिता और बीआरएस सुप्रीमो के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर को लिखे पत्र के लीक होने से पार्टी में पहले से ही हलचल है।
पार्टी में यह विवाद तब शुरू हुआ जब कविता का अपने पिता केसीआर को लिखा एक कथित पत्र 22 मई को मीडिया में लीक हो गया। इस पत्र में कविता ने बीआरएस की 27 अप्रैल को हनमकोंडा में आयोजित रजत जयंती समारोह में केसीआर के भाषण की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि केसीआर ने बीजेपी के ख़िलाफ़ केवल दो मिनट बोला, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में यह धारणा बनी कि बीआरएस भविष्य में बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकती है। कविता ने यह भी उल्लेख किया कि बीआरएस का हाल के एमएलसी चुनाव में उम्मीदवार न उतारना ग़लत संदेश देता है, जिससे बीजेपी को फायदा हुआ।
पत्र में कविता ने केसीआर से पार्टी के नेतृत्व और कार्यकर्ताओं की सीमित पहुँच, पिछड़े वर्गों के लिए 42% आरक्षण, वक्फ संशोधन अधिनियम और अल्पसंख्यक के मुद्दों पर अधिक आक्रामक रुख अपनाने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ कार्यकर्ताओं को सभा में बोलने का अवसर नहीं दिया गया, जिससे असंतोष बढ़ा।
इसी बीच के कविता का अब ताज़ा बयान आया है। 29 मई को हैदराबाद में मीडिया से बात करते हुए कविता ने अपने रुख को और सख्त करते हुए कहा,
जब मैं जेल में थी, तब बीआरएस को बीजेपी में विलय करने का प्रस्ताव मेरे सामने आया था। मैंने इसका पुरजोर विरोध किया। मैं एक साल तक जेल में रहने को तैयार हूँ, लेकिन बीआरएस को बीजेपी में विलय नहीं होने दूंगी।
कविता ने बिना नाम लिए केटीआर पर निशाना साधा और कहा, 'मेरा केवल एक नेता है, और वह केसीआर हैं। मैं केवल उनके नेतृत्व में काम करूंगी।' यह बयान साफ़ तौर पर उनके भाई केटीआर की नेतृत्व की महत्वाकांक्षा को चुनौती देता है। केटीआर पार्टी में केसीआर के उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाते हैं। कविता ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग पार्टी के रजत जयंती समारोह की सफलता का श्रेय स्वयं ले रहे हैं, जबकि यह केवल केसीआर की वजह से संभव हुआ।
कविता ने यह भी दावा किया कि उनके ख़िलाफ़ साज़िश रची जा रही है और कुछ लोग उन्हें पार्टी में हाशिए पर डालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मैं छिपकर राजनीति नहीं करती। जो मेरे मन में है, मैं खुलकर बोलती हूं।'
कविता के बयानों ने बीआरएस के भीतर तनाव को और बढ़ा दिया है। केटीआर ने इस मुद्दे पर सीधे जवाब देने से बचते हुए कहा कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है और कोई भी नेता केसीआर को पत्र लिख सकता है। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि आंतरिक मुद्दों को सार्वजनिक करने के बजाय पार्टी मंचों पर चर्चा की जानी चाहिए।
केटीआर ने हाल ही में एक ट्वीट के जरिए बीजेपी-बीआरएस गठजोड़ की अटकलों को खारिज करने की कोशिश की, जिसमें उन्होंने केंद्र की बीजेपी सरकार की परियोजनाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाए।
कविता के ताज़ा बयानों पर केटीआर की चुप्पी और बीआरएस की ओर से कोई आधिकारिक खंडन न आने से अटकलें तेज हो गई हैं। केसीआर ने भी इस मामले पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है।
कविता के बयानों ने तेलंगाना की सत्तारूढ़ कांग्रेस और बीजेपी को बीआरएस पर हमला करने का मौका दे दिया है। कांग्रेस के नेता और तेलंगाना के परिवहन मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने हाल ही में कहा कि कविता का पत्र इस बात की पुष्टि करता है कि बीआरएस और बीजेपी के बीच गुप्त समझौता है। उन्होंने कहा, 'कविता ने वही सवाल उठाया है जो हम लंबे समय से कह रहे हैं। बीआरएस ने हमेशा बीजेपी के प्रति नरम रुख अपनाया है।'
दूसरी ओर, बीजेपी सांसद के. लक्ष्मण ने इस विवाद को बीआरएस के भीतर उत्तराधिकार की लड़ाई करार दिया। उन्होंने कहा कि कविता का पत्र केवल पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के कारण के कविता और केटीआर के बीच विवाद हुआ है।
कविता के बयानों और पत्र ने बीआरएस के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। यह पार्टी के भीतर नेतृत्व के संकट को उजागर करता है, खासकर तब जब केसीआर की सेहत ठीक नहीं है और केटीआर को उनका उत्तराधिकारी माना जा रहा है।
कविता का यह कहना कि वह केवल केसीआर के नेतृत्व में काम करेंगी, केटीआर और हरीश राव जैसे अन्य नेताओं के लिए एक खुली चुनौती है।
कविता के बीजेपी के साथ विलय के दावों ने बीआरएस की छवि को नुकसान पहुंचाया है। तेलंगाना में कांग्रेस सत्ता में है, और बीआरएस और बीजेपी दोनों विपक्ष में हैं। ऐसे में बीजेपी के साथ गठजोड़ की अटकलें बीआरएस कार्यकर्ताओं के बीच भ्रम पैदा कर सकती हैं, जो पहले ही 2023 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद निराश हैं। कविता के पत्र में उठाए गए मुद्दे पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष को और बढ़ा सकते हैं।
कविता के बयानों और पत्र ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वह बीआरएस में अपनी स्थिति मज़बूत करने की कोशिश कर रही हैं या पार्टी से अलग होने की योजना बना रही हैं। कुछ ख़बरों में अटकलें हैं कि कविता अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बना सकती हैं, लेकिन उनके क़रीबियों ने इन अटकलों को खारिज किया है। कविता के बयानों ने बीआरएस के भीतर की दरारों को उजागर कर दिया है और तेलंगाना की राजनीति में नई अटकलों को जन्म दिया है।