छत्तीसगढ़ के बाद मध्य प्रदेश में भाजपा आलाकमान (मोदी-अमित शाह) की सधी हुई रणनीति ने उत्तर भारत के खांटी हिन्दी बेल्ट यूपी-बिहार की ओबीसी राजनीति में हलचल मचा दी। राजनीतिक पंडितों को इसका राजनीतिक अर्थ समझने में रत्ती भर देर नहीं लगी कि मोहन यादव का चयन यूपी-बिहार की ओबीसी राजनीति को प्रभावित करने के लिए हुआ है। खासकर जहां अखिलेश यादव और लालू-तेजस्वी यादव के राजनीतिक वर्चस्व का बोलबाला है। वैसे भी जब यूपी-बिहार से दिल्ली में प्रधानमंंत्री की कुर्सी तय होती हो तो भाजपा मौके को क्यों नहीं भुनाएगी।
मोदी के मोहनः यूपी-बिहार की राजनीति प्रभावित करेंगे, सुल्तानपुर से रिश्ता क्या है?
- राजनीति
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- 29 Mar, 2025
यूपी से लेकर बिहार तक जब जाति जनगणना को राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा हो तो ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के पास इसका जवाब मोहन यादव के अलावा और क्या हो सकता था। मोहन यादव का चयन यूपी-बिहार की ओबीसी राजनीति पर प्रहार के लिए भाजपा का नया हथियार साबित होने जा रहा है। मोहन की ससुराल यूपी के सुल्तानपुर में है। भाजपा उसका फायदा उठाने में नहीं चूकेगी। जानिए, पूरी राजनीतिः

एमपी के मनोनीत मुख्यमंत्री मोहन यादव