भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से उठा सियासी विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। अब अगले उपराष्ट्रपति के नामों पर तमाम अटकलें शुरू हो गई हैं। सोमवार शाम को जब धनखड़ का इस्तीफा आया तो सबसे पहला नाम इस सूची में उपसभापति हरिवंश का नाम उभरा। वो राष्ट्रपति से मिलने गए तो अटकलें और बढ़ीं। इसे बिहार चुनाव से जोड़कर देखा गया


बिहार चुनाव के ही मद्देनजर अब वहां के सीएम नीतीश कुमार का नाम भी चल रहा है। नीतीश का नाम सबसे अप्रत्याशित रूप से उभरा है। हालांकि उनकी उम्मीदवारी कम संभावना वाली मानी जा रही है, लेकिन एनडीए के सहयोगी जैसे उपेंद्र कुशवाहा ने सुझाव दिया है कि नीतीश बिहार में अगली पीढ़ी को नेतृत्व सौंपकर उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हो सकते हैं। उनका इशारा था कि नीतीश की जगह अब उनके बेटे को राजनीति में उतरना चाहिए और नीतीश को दिल्ली भेजना चाहिए। 

दूसरा नाम 67 साल के वीके सक्सेना का है। जो पिछले तीन साल से दिल्ली के उपराज्यपाल हैं। पिछले कुछ समय से उनके किसी "बड़े कार्यभार" के लिए पद छोड़ने की चर्चा चल रही है। पूर्व कॉर्पोरेट जगत के व्यक्ति वीके सक्सेना ने आप सरकार के प्रशासनिक कदमों को स्पष्ट रूप से रोक करके दिल्ली की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाई। इसके बाद दिल्ली में बीजेपी की वापसी का रास्ता साफ हुआ। दिल्ली सरकार में नियुक्तियों से लेकर दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित नीतियों तक, सक्सेना पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए एक रोड़ा बन गए थे। केजरीवाल और उनकी पार्टी बुरी तरह चुनाव हार गई।
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मनोज सिन्हा को मिलेगा मौका?

66 साल के मनोज सिन्हा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) के रूप में 6 अगस्त को अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। उन्हें अगले बड़े मिशन के लिए तैयार करने की खबरें सत्ता के गलियारों में घूम रही हैं। बिहार चुनाव बीजेपी अपने बूते जीतना चाहती है। ऐसे में मनोज सिन्हा को उपराष्ट्रपति के पद पर बैठाकर बीजेपी बिहार जीतना चाहती है। क्योंकि मनोज सिन्हा पूर्वी उत्तर प्रदेश के नेता हैं और बिहार में खासे लोकप्रिय भी है। वो रेल राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। सिन्हा ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में स्थिरता लाने में भूमिका निभाई, ऐसा उनके समर्थकों का कहना है। हालाँकि, उनका जम्मू-कश्मीर कार्यकाल पहलगाम आतंकवादी हमले के लिए भी याद किया जाएगा। जिसमें 26 लोग मारे गए थे।

हरिवंश की दावेदारी अभी भी मजबूत 

वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को सरकार का विश्वास प्राप्त है और वे एक मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। धनखड़ के इस्तीफे के बाद, हरिवंश वर्तमान में मानसून सत्र के लिए राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता कर रहे हैं। हरिवंश का नाम बिहार के प्रमुख पत्रकारों में रहा है। तमाम पार्टियों में उनके अच्छे संपर्क हैं। इसलिए बिहार के मद्देनजर उन्हें ज्यादा मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है।
हालांकि ये जितने भी नाम हैं, वो सत्ता के गलियारों में गूंज रहे हैं लेकिन बीजेपी की ओर से अभी कोई आधिकारिक संकेत किसी नाम को लेकर नहीं है। हालांकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का नाम भी इस सूची में आया था लेकिन वो आने के साथ ही खारिज हो गया था। क्योंकि अभी नड्डा को धनखड़ विवाद के लिए कम जिम्मेदार नहीं माना जा रहा है।
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74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में उप-राष्ट्रपति का पद संभाला था और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था। अपने इस्तीफा पत्र में, उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद सदस्यों के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक मंच पर बढ़ते प्रभाव को देखना मेरे लिए गर्व का विषय रहा।"