बिहार में बीजेपी और जेडीयू की खटास बढ़ती जा रही है। हद तो यह है कि गठबंधन के दोनों दल अब अपनी-अपनी सीटों पर तैयारी के दावे तक करने लगे हैं। अभी गृह मंत्री अमित शाह पटना आए तो उनसे जेडीयू के किसी महत्वपूर्ण नेता ने मुलाकात तक नहीं की, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना की वजह से किसी से नहीं मिल रहे हैं।
बिहार में जाति जनगणना को लेकर नीतीश कुमार ने जो सर्वदलीय बैठक की घोषणा की है उसमें बीजेपी की स्थिति कैसी होगी? केंद्र में बीजेपी विरोध करती है तो क्या बिहार में वह समर्थन करेगी?
बीजेपी की मदद से सरकार चलाने के वावजूद नीतीश इफ़्तार पार्टी कर सकते हैं और लालू परिवार को उसमें आमंत्रित कर सकते हैं। इसका क्या मतलब है और बीजेपी के लिए क्या संदेश है?
जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नज़दीकी के नेता आर. सी. पी. सिंह ने मंत्रिमंडल में पार्टी के सही प्रतिनिधित्व नहीं होने पर असंतोष सार्वजनिक रूप से जताया है।
बिहार विधानसभा चुनाव में जीत का जश्न बीजेपी ने क़रीब-क़रीब उसी अंदाज में मनाया जिस तरह से लोकसभा चुनाव 2019 में मोदी सरकार को मिली दूसरी सफलता के समय मनाया गया था।
क्या कोरोना की फ्री वैक्सीन का वादा किसी चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा हो सकता है? क्या होना चाहिए? यह सवाल देश में हर औसत बुद्धि का व्यक्ति भी बीजेपी से पूछ रहा है।
बीजेपी ने सोशल मीडिया के मोर्चे पर जबरदस्त काम किया है। पार्टी की सभी राज्य इकाइयों के फ़ेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल हर दिन जोरदार ढंग से सक्रिय रहते हैं।