राहुल गाँधी की टीम के सदस्य यह शिकायत करते रहे हैं कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी की कमान युवा नेताओं के हाथ में नहीं जाने देना चाहते हैं।
कांग्रेस अब बीजेपी द्वारा उसके नेताओं को भ्रष्टाचारी बताने पर चुप नहीं बैठेगी। वह इसे मुद्दा भी बनाएगी कि मोदी सरकार विपक्षी नेताओं को चुन-चुन कर निशाना बना रही है।
कांग्रेस ने आरएसएस यानी संघ को राष्ट्रवाद से जुड़े तमाम मुद्दों पर 'गाँधी दर्शन' के सहारे ज़मीनी स्तर पर जवाब देने की रणनीति बनाई है।
प्रतिस्पर्धी प्रजातंत्र में अगर विपक्ष सरकार के बड़े लेकिन उनकी समझ में ग़लत फ़ैसले पर भी मौन रहता है तो उसे राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए।
पिछले कुछ समय में कई वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा कहा है। इनमें राज्यसभा में पार्टी के चीफ़ व्हिप भुवनेश्वर कलिता से लेकर राज्यसभा सांसद संजय सिंह और कई अन्य बड़े नेता भी शामिल हैं। आख़िर क्यों नेता कांग्रेस से पलायन कर रहे हैं, सुनिए सत्य हिंदी के लिए वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का विश्लेषण।
आख़िर क्यों कांग्रेस पार्टी गाँधी परिवार से बाहर निकलने की नहीं सोच पाती है? ऐसा क्या है कि वह उसी परिवार के इर्द गिर्द घूमती रहती है? यह परिवार इस पार्टी की ख़ूबी है या बोझ?
अध्यक्ष पद पर किसे चुना जाए, इस पर कांग्रेस पार्टी में उलझन बरक़रार है। बार-बार राहुल का नाम क्यों लिया गया? किसी नाम पर सहमति नहीं बनने पर सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष क्यों चुना गया?
कांग्रेस अध्यक्ष चुनने वाली पार्टी के अलग-अलग ज़ोन की बनाई गईं पाँच टीमों की बैठकें चल रही हैं। लेकिन सोनिया और राहुल बैठकों को छोड़कर चले गए।
लंबे समय से कांग्रेस के नए अध्यक्ष पर चली आ रही अटकलों पर आज विराम लग सकता है। आज रात नौ बजे तक पार्टी के नए अध्यक्ष को चुन लिए जाने की संभावना है। अधीर रंजन ने इसके संकेत दिए हैं।
क़रीब एक सौ चौंतीस साल पुरानी कांग्रेस 2014 और 2019 की हार के कारण सन्निपात की स्थिति में पहुँच गई है। एक पार्टी के तौर पर यह इतनी विचलित पहले कभी नज़र नहीं आयी। क्या हिंदू राष्ट्रवाद के भँवर में फँसकर ऐसी स्थिति में कैसे पहुँच गई?
अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद कांग्रेस में क्यों पूरी तरह बिखरती दिख रही है? क्या पार्टी में एक राय नहीं है? राहुल के इस्तीफ़े के बाद से ही नेतृत्वहीन दिख रही क्या कांग्रेस के लिए यह बड़ा संकट नहीं है? देखिए सत्य हिंदी के लिए शैलेश की रिपोर्ट में इन सवालों के जवाब।
मध्य प्रदेश में बीजेपी विधायकों पर राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा का ‘भय’ भी ‘बेअसर’ रहा है। पार्टी की बैठक में कई विधायक नहीं पहुँचे। कमलनाथ एंड कंपनी ने कहीं ‘सर्जिकल स्ट्राइक पार्ट टू’ के लिए ‘स्क्रिप्ट’ तो तैयार नहीं कर ली है?
कांग्रेस में पिछले 2 महीने से अध्यक्ष पद को लेकर बनी असमंजस की स्थिति स्वतंत्रता दिवस से पहले ख़त्म हो सकती है। यानी 15 अगस्त से पहले कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल सकता है।
कांग्रेस में भगदड़ है। एक के बाद एक नेता पार्टी को छोड़ रहे हैं। पार्टी ख़राब स्थिति में है। राहुल निष्क्रिय हैं। लोगों से जुड़ाव में प्रियंका ही जुटी हैं। क्या प्रियंका में है दम? देखिए 'शैलेश की रिपोर्ट' में क्या प्रियंका संभाल पाएँगी पार्टी को।
पुलवामा हमले के दिन जिम कार्बेट पार्क में प्रधानमंत्री मोदी की जिस शूटिंग को लेकर पूरे देश की राजनीति में तूफ़ान मचा था वह वीडियो अब बनकर तैयार हो गया है।सत्य हिंदी।
जिस तरह बीजेपी ‘फु़लफ़ॉर्म’ में है, उसमें यदि कमलनाथ ने बीजेपी के दो विधायकों को तोड़ लिया तो यह सामान्य बात नहीं है। कमलानाथ के इस ‘मास्टर स्ट्रोक’ के पीछे क्या रही रणनीति?
मध्य प्रदेश में बीजेपी पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कर दी। बीजेपी के दो विधायकों को तोड़कर लिया। बीजेपी के पाँच विधायक संपर्क में होने का दावा भी कांग्रेस खेमे ने किया है।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की चिता की आग अभी ठंडी नहीं हुई है कि उनके कथित ‘आख़िरी ख़त’ ने कांग्रेस में हड़कंप मचा दिया है। क्या है उस 'ख़त' में?
लोकतंत्र के लिए सत्ताधारी पार्टी का महत्व बहुत ज़्यादा है, पर विपक्ष की भूमिका भी कम नहीं है। विपक्ष के बहुत सारे नेता सत्ताधारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं। क्या यह देश की राजनीति के लिए सही है?
कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, तेलंगाना के बाद कांग्रेस के लिए बुरी ख़बर आई है गुजरात से, जहाँ अल्पेश ठाकोर ने बीजेपी का दामन थाम लिया है।
कांग्रेस अब तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। लगातार दो लोकसभा चुनावों में हार का कीर्तिमान बना चुकी पार्टी अब नए अध्यक्ष की तलाश में है।
कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। आम सहमति बनाने की क़वायद में जुटे नेता किसी एक नाम पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं।
राहुल गाँधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर चर्चाएँ तेज़ हो गई हैं।
लोकसभा चुनाव में मिली क़रारी हार के बाद पार्टी के अध्यक्ष पद से राहुल गाँधी ने इस्तीफ़ा दिया तो उसके बाद इस्तीफ़ों की झड़ी लग गयी।
बीजेपी चुस्त, कांग्रेस पस्त!
लोकसभा चुनाव में मिली क़रारी हार के बाद भी लगता है कि कांग्रेस चेतने को तैयार नहीं है दूसरी ओर बीजेपी और सक्रिय दिख रही है।