सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी मेटा ने अपनी वेरिफाइड सेवा को भारत में भी लॉन्च कर दिया है।
ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे फ़ेसबुक पेजों की पहचान की है जो बीजेपी से जुड़े हैं और विपक्ष के ख़िलाफ़ प्रॉपगेंडा फ़ैलाने के लिए करोड़ों का विज्ञापन देते हैं। अभिषेक कुमार की रिपोर्ट में पढ़िए कैसे काम करते हैं ये नेटवर्क।
मेटा प्लेटफॉर्म्स के तहत आने वाले फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सऐप में कर्मचारियों की छँटनी के बीच अब इनके कर्मचारियों ने खुद से इस्तीफा देना क्यों शुरू कर दिया?
फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सऐप की पैरेंट कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स ने आख़िरकार 11000 कर्मचारियों की छंटनी का फ़ैसला किया है। जानिए, मार्क ज़ुकरबर्ग ने इसको लेकर क्या कहा।
ट्विटर के बाद अब फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप में भी छंटनी होनी लगभग तय है। जानिए, मार्क ज़ुकरबर्ग ने इसको लेकर क्या कहा है।
फेसबुक की भारत पर मानवाधिकार प्रभाव रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय आलोचना का विषय बन गई है। इस रिपोर्ट में दरअसल फेसबुक ने जबरदस्त लीपापोती की है। भारत के बड़े मीडिया समूहों में जब इसकी चर्चा नहीं हो रही है, ऐसे में टाइम मैगजीन ने इस रिपोर्ट का विश्लेषण कर डाला है। जानिए पूरी रिपोर्ट और आलोचना की वजह।
अल ज़ज़ीरा की रिपोर्ट कहती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की पहुंच और लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए NEWJ के द्वारा फेसबुक पर विज्ञापनों के रूप में लाखों रुपए की रकम खर्च की गई।
दिल्ली दंगों के दौरान फ़ेसबुक पर नफ़रत वाली सामग्री कितनी थी और क्या कार्रवाई की गई थी? दिल्ली के विधानसभा पैनल के सामने नफ़रत वाली सामग्री को लेकर क्या फ़ेसबुक सही से जवाब दे रहा है?
फ़ेसबुक पर क्यों आरोप लग रहा है कि नफ़रत और हिंसा वाली सामग्री पर कार्रवाई नहीं की? जानिए, एक के बाद एक रिपोर्टें फ़ेसबुक के आंतरिक सिस्टम को कैसे उजागर कर रही हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म फेसबुक पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लग चुके हैं। उस पर चुनावों को प्रभावित करने,हेट स्पीच को रोकने में फ़ेल रहने के भी आरोप लगे हैं।
फ़ेसबुक के सीईओ मार्क ज़करबर्ग ने इस बात का एलान किया है कि फ़ेसबुक ने अपना नाम बदलकर मेटा रख लिया है।
फ़ेसबुक पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लग रहे हैं। उस पर चुनावों को प्रभावित करने, वर्ग विशेष के ख़िलाफ़ होने वाली पोस्ट्स पर कार्रवाई न करने के भी आरोप लगे हैं।
फ़ेसबुक पर आख़िर बार-बार नफ़रत फैलाने का आरोप क्यों लगता है? आंतरिक सिस्टम पर सवाल उठने के बाद फ़ेसबुक ने ही अब क्यों कहा है कि अल्गोरिदम का गहन विश्लेषण किया गया?
फ़ेसबुक पर इससे पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। उस पर आरोप लगा था कि उसने बीजेपी के कहने पर कुछ लोगों के फ़ेसबुक पेज को अपने प्लेटफ़ॉर्म से हटा दिया।
फ़ेसबुक की एक पूर्व कर्मचारी ने कहा है कि कंपनी ने आरएसएस के मुसलिम विरोधी हेट स्पीच को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। क्या है मामला?
फ़ेसबुक एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इसके तीन सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के ठप होने के ठीक पहले इस पर मुनाफाखोरी का आरोप लगा था। क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने फ़ेसबुक को ज़बरदस्त फटकार लगाते हुए कहा कि यह विध्वंसक आवाज़ों और विचारधारओं का प्लैटफ़ॉर्म बन गया है।
हमें एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना करना प्रारम्भ कर देना चाहिए जिसमें फ़ेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, इंस्टा, आदि जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म या तो हमसे छीन लिए जाएँगे या उन पर व्यवस्था का कड़ा नियंत्रण हो जाएगा।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। #ResignModi को फ़ेसबुक ने किया ब्लॉक, कहा, ग़लती से हुआ।
फ़ेसबुक इंडिया ने यह माना है कि उसने वायरल हो चुके #ResignModi को कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया था। उसने सफाई देते हुए कहा है कि यह गलती से हो गया था और ऐसा करने के लिए केंद्र सरकार ने उससे कहा नहीं था।
भारत में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी को ग़लत ढंग से फ़ायदा पहुँचाने और उसके लिए अपने नियम क़ानून को ताक पर रखने के लिए फ़ेसबुक एक बार फिर विवादों में है।
फ़ेसबुक डाटा सुरक्षा में सेंधमारी की बार-बार आती रही रिपोर्टों के बीच अब 53 करोड़ फ़ेसबुक यूज़रों की गुप्त जानकारी ऑनलाइन पाई गई है। जिनकी जानकारियाँ लीक हुई हैं वे 100 से अधिक देशों के यूजरों की हैं।
दुनिया भर के डिजिटल समाचार उद्योग में बड़ी उथल-पुथल मची हुई है। गूगल और फ़ेसबुक जैसी कंपनियों और कई देशों के बीच जारी जंग इस परिवर्तन के केंद्र में है। ऑस्ट्रेलिया में विवाद चल रहा है।
वॉट्सऐप का इस्तेमाल करने वालों की सूचना की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार ने कंपनी से कहा है कि भारतीय उपभोक्ताओं के लिए नए नियम न लागू करे।
कैपिटल बिल्डिंग यानी अमेरिकी संसद भवन हिंसा मामले में निशाने पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम खाते को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।
मोबाइल डेटा यानी यूज़र की जानकारी को लेकर दुनिया की दो दिग्गज कंपनियाँ फ़ेसबुक और एप्पल आमने-सामने हैं। वही डेटा जिस पर हममें से अधिकतर लोग ध्यान भी नहीं देते।