डेढ़ माह में पहले पीएम के ‘मन की बात’ के दौरान भी 10 लाख लोगों ने ‘डिसलाइक’ दर्ज कराया था। उसे यह कह कर ख़ारिज किया गया जो युवा संघ लोक सेवा की परीक्षा और अन्य परीक्षाओं को टालने की माँग कर रहे थे, यह उनका फ़ौरी गुस्सा था।
केंद्र सरकार के तीस लाख कर्मचारियों के लिए खुशखबरी। कैबिनेट ने बोनस का प्रस्ताव पास कर दिया है। दशहरे के पहले ही DBT के ज़रिए कर्मचारियों के खाते में बोनस पहुंच जाएगा। सरकार इसपर कुल 3737 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि 30 लाख अराजपत्रित यानी नॉन-गजेटेड कर्मचारियों को बोनस दिया जाएगा, जिस पर सरकार को 3,737 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
ऐसे समय में जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका और यूरोप की मजबूत अर्थव्यवस्थाएं कोरोना महामारी की चपेट से निकलने के लिए जूझ रही हैं, चीन ने 4.9 प्रतिशत की विकास दर दर्ज कर सबको चौंका दिया है।
बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार माँग और खपत बढ़ाने की कोशिश कर रही है। दो महत्वपूर्ण फ़ैसले किए गए हैं- लीव ट्रैवल कनसेशन के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को नकद वाउचर दिए जाएंगे और त्योहार के पहले नकद एडवांस दिया जाएगा।
देश के आर्थिक विमर्श में इन दिनों नई हरी पत्तियों की चर्चा अचानक ही शुरू हो गई है। सितंबर महीने के जो आँकड़ें हैं वे भले ही कोई बड़ी उम्मीद न बंधी रही हो, राहत तो दे ही रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां ही नहीं, घरेलू एजेन्सियां भी चिंता जता चुकी हैं। लगभग सबका मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था दिन बन दिन बद से बदतर होती जा रही है।
सु्प्रीम कोर्ट ने बैंक से लिए गए क़र्ज़ के भुगतान न करने की छूट की मियाद बढ़ा कर सितंबर तक कर दी है। पहले यह अगस्त तक थी। इसका मतलब यह हुआ कि आप चाहें तो सितंबर तक बैंक को किश्त यानी ईएमआई न चुकाएं।
अंतरराष्ट्रीय रेटिेंग एजेन्सी फ़िच रेटिंग्स ने पहले कहा था कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की जीडीपी शून्य से 5 प्रतिशत नीचे चली जाएगी, अब इसका कहना है कि यह शून्य से 10.5 प्रतिशत नीचे जाएगी।
रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने लिंकडिन पर एक पोस्ट लिखी है । उनका कहना है कि मोदी सरकार को फ़ौरन भयाक्रांत होकर काम शुरू कर देना चाहिये नहीं तो अर्थव्यवस्था बरबाद हो जायेगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कोरोना से तबाह अर्थव्यवस्था पर सरकार के रवैए की तीखी आलोचना की है।
निर्मला सीतारमण के पति ने उनकी तीखी आलोचना की है और ये कहा है कि अब तो भगवान के नाम पर कुछ कदम उठा ले । उनके पति परकाल प्रभाकर ने ट्वीट कर अपनी पत्नी के बयान पर अपनी नाराज़गी जताई है ।
ईएमआई तो टल गईं पर ब्याज का क्या होगा? ब्याज पर ब्याज माफ़ कर देगा सुप्रीम कोर्ट? ऐसा हुआ तो बैंक कहाँ से भरेंगे पैसा? क्या कोर्ट मोरेटोरियम को दो साल तक बढ़ा भी सकता है?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कोरोना संकट की वजह से लोन मोरेटोरियम को दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।
भारतीय स्टेट बैंक ने कहा है कि पूरे चालू वित्तीय वर्ष के दौरान जीडीपी के 10.9 प्रतिशत गिरने की आशंका है।
सबसे तेज़ वृद्धि दर वाली जीडीपी कुछ ही वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है। विकासशील देशों पर या जी-7 देशों पर नज़र डाली जाए तो साफ दिखता है कि -23.9 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ यह स्पेन से भी नीचे जा चुका है।
जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद पर आम जनता ही नहीं, बैंक व वित्तीय संस्थाएं, उद्योग जगत, पूंजी बाज़ार, विदेश निवेशक, विदेशी क्रेडिट रेटिंग एजेन्सी सबकी नज़र रहती है। क्यों? आख़िर क्या होता है जीडीपी?
पूंजी बाज़ार ने शायद यह पहले ही मान लिया है कि सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी पहले से बहुत कम होगी। यह इससे समझा जा सकता है कि बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदनशील सूचकांक सेंसेक्स पहले ही 899.12 अंक गिरा।
क्या भारतीय जनता पार्टी ने जानबूझ कर देश की आर्थिक स्थिति की ग़लत तसवीर पेश की? क्या उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पुराने आँकड़ों को मौजूदा आर्थिक स्थिति कह कर पेश किया है?
क्या गाँवों से बर्बाद होकर शहर आए और फिर शहरों से बर्बाद होकर गाँव लौट रहे लोग सचमुच देश की अर्थव्यवस्था संभालने की स्थिति में हैं?
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि शेयर बाज़ार में गिरावट आनी तो तय है, सिर्फ इतना पता नहीं है कि वह कब आएगी।
जुलाई के महीने में पचास लाख सैलरीड लोग बेरोजगार हो गए। अप्रैल से अब तक ऐेसे 1.9 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं। नौकरी जा रही हैं। उनमें भी अच्छी नौकरियां जा रही हैं।जिनकी नौकरी बची भी हैं उनका वेतन कम हो रहा है। नए लोगों के लिए रोजगार का बाजार बहुत मुश्किल होता जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था की नब्ज पढ़नेवाले देश के सबसे अच्छे विशेषज्ञ और CMIE के MD & CEO महेश व्यास से आलोक जोशी की बातचीत। Satya Hindi
स्टेट बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अप्रैल-जून की तिमाही में अर्थव्यवस्था के 16.50 प्रतिशत सिकुड़ने यानी पहले से कम कारोबार करने के आसार हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने के लिए तीन उपाय सुझाए हैं। उनका मानना है कि आर्थिक संकट को और गहराने से रोकने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को ये उपाय तुरन्त करने चाहिए।
यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्था कोरोना की चपेट में आकर बदहाल हो चुके हैं। पहले से सुस्त चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था का क्या होगा हाल?
लॉकडाउन की वजह से अप्रैल महीने में पूरे देश में औद्योगिक उत्पादन आधे से भी कम हुआ क्योंकि ज़्यादातर ईकाइयों नें उत्पादन शून्य रहा।