डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं, बीजेपी अभी तक इसका जवाब नहीं दे पाई है। हाल ही में तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले की फर्जी खबरें और वीडियो फैलाए गए। बिहार के हिन्दी अखबारों ने उन फर्जी खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर छापा। स्टालिन ने उसी संदर्भ में बीजेपी पर अब आरोप लगाया है।
तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरें बिहार के अखबारों ने उछाली। जिम्मेदार संपादकों ने मात्र एक वीडियो के आधार पर सारी फेक न्यूज परोस दी। बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की। लेकिन जब सच सामने आया तो बीजेपी अब बैकफुट पर है।
शीर्ष अदालत ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को फटकार लगाते हुए कहा कि उसका लापरवाही भरा रवैया माफ़ करने लायक नहीं है।
दिल्ली में लॉकडाउन का ऐलान होने के बाद बड़ी तादाद में लोग राजधानी छोड़ कर अपने-अपने गृह नगर लौटने लगे हैं। राजधानी से सटे आनंद विहार, कौशांबी, ग़ाज़ियाबाद और दूसरी जगहों पर भारी तादाद में लोग उमड़ रहे हैं।
विदेशों में नौकरी करने वाले लोगों के कारण आस-पास के इलाक़ों में तरक्क़ीयाफ्ता और खुशहाल समझे जाने वाले बिहार के कई गाँव आजकल भीषण बेरोज़गारी की गिरफ़्त में हैं।
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए विभिन्न राज्यों से बिहार लौटे प्रवासी मज़दूरों को बिहार पुलिस मुख्यालय ने माना है।
नाम है मुजीबुल्लाह रहमान। उम्र 80 साल। काम करते हैं कुली का। अब सोशल मीडिया पर हीरो बनकर उभरे हैं क्योंकि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले थके-हारे लोगों का वह मुफ़्त में सामान ढोते हैं।
एक अहम और ख़तरनाक घटनाक्रम में बिहार सरकार ने बाहर से आए लोगों को क्वरेन्टाइन केंद्रों में रखना या उनकी थर्मल स्कैनिंग बंद करने का फ़ैसला किया है।
पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से अपने घरों को लौट रहे प्रवासियों की मौत होना छोटी और अलग घटना है और रेलवे को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। घोष के इस बयान पर विरोधी दलों के नेताओं ने कड़ी टिप्पणी की है। Satya Hindi
देश के 20 बड़े और मशहूर वकीलों ने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मज़दूरों की स्थिति और सरकार के रवैए पर एक बेहद कड़ी चिट्ठी सुप्रीम कोर्ट को लिखी।
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवासी मज़दूरों की स्थिति का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र-शासित क्षेत्रों को नोटिस जारी किया है।
प्रवासी मज़दूरों के घर लौटने के मुद्दे पर एक बेहद अहम फ़ैसले में गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि या तो राज्य सरकारें उनका भाड़ा चुकाएँ या रेलवे उनका भाड़ा माफ़ करे।
लॉकडाउन ने पुलिसिया अत्याचारों, नाजायज गिरफ्तारियों, भुखमरी, हादसों और आत्महत्याओं के नए रास्ते खोले हैं और केंद्र और राज्य सरकार अवाम की असली दिक्कतों की तरफ पीठ किए हुए है।Satya Hindi
The Vijai Trivedi Show: क्यों बिना सोच समझकर किया गया लॉकडाउन? लॉकडाउन में दुनिया की नकल करना भारत जैसे ग़रीब देश के लिए कितना सही? और क्या अब मज़दूरों के लिए सरकार के पास कोई योजना है या फिर जुगाड़ से ही काम चलाएगी सरकार? इन सभी मुद्दों पर विशेष चर्चा वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी के साथ।Satya Hindi
रेलवे ने कहा है कि अब श्रमिक स्पेशल चलाने से पहले उन राज्यों की अनुमति लेनी ज़रूरी नहीं होगी, जिन राज्यों को यह ट्रेन जा रही होगी।
अब तक कम कोरोना मामले वाले बिहार में संक्रमित लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों में से 26 प्रतिशत में संक्रमण पाया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार अपने राज्य में फँसे प्रवासी मज़दूरों को उनके गृह राज्य भेजने के लिए 12 हज़ार बसें चलाएगी।
प्रवासी मज़दूरों की स्थिति पर कांग्रेस और बीजेपी ने एक-दूसरे पर ज़ोरदार हमला किया है।
केंद्र सरकार ने अपने कामकाज की जगह से गृह प्रदेश जा रहे प्रवासी मज़दूरों पर नज़र रखने और उनके बारे में लगातार और पूरी जानकारी रखने के लिए एक ऑनलाइन डैशबोर्ड शुरू किया है।
मद्रास हाई कोर्ट ने पूर देश में प्रवासी मजदूरों की स्थिति को 'दयनीय' व 'मानवीय त्रासदी' क़रार देते हुए कहा कि उन्हें देख कर 'आँसू नहीं थमते'।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए आर्थिक पैकेज के दूसरे हिस्से का एलान करते हुए दावा किया कि प्रवासी मज़दूरों पर खर्च करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को 11,000 करोड़ रुपए दिए हैं।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई प्रवासी मज़दूर पैदल चल अपने गृह राज्य न जाए।
लॉकडाउन की वजह से जगह-जगह फँसे प्रवासी मज़दूरों को उनके गृह राज्य पहुँचाने के लिए भारतीय रेल रोज़ाना 300 ट्रेनें चलाएगी।
रेल कर्मचारी संगठन ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फ़ेडरेशन ने कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिख कर कहा है कि वह रेल भाड़ा पर राजनीति न करें।
घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों से रेल भाड़ा वसूलने के मुद्दे पर क्या बीजेपी झूठ बोल रही है? क्या रेलवे ने उन्हें मुफ़्त यात्रा की सुविधा दी है? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
केंद्र सरकार ने इस पर सफ़ाई देते हुए कहा है कि उसने राज्य सरकारों से कभी नहीं कहा कि वह इन मज़दूरों से भाड़ा वसूले।