एस्ट्राज़ेनेका की जिस कोविड वैक्सीन को लेकर शुरू से ही ब्लड क्लॉटिंग की शिकायतें आती रही थीं उसको लेकर अब अध्ययन सामने आया है। जानिए, इसमें क्या ख़तरा सामने आया है।
लांसेट ने एक शोध प्रकाशित किया है जिसमें पता चला है कि फाइज़र और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन से बनी कोरोना के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी यानी प्रतिरोधी क्षमता 2-3 महीने में ही धीरे-धीरे घटने लगती है।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका कंपनी की वैक्सीन और फाइज़र की वैक्सीन के कॉकटेल पर शोध में सामने आया है कि दोनों टीकों की एक-एक खुराक को 4 हफ़्ते के अंतराल पर लेने से शरीर में काफ़ी ज़्यादा एंटी-बॉडी बनती है।
भारत में कोरोना के जिस डेल्टा वैरिएंट ने दूसरी लहर में तबाही मचाई उस पर मौजूदा वैक्सीन की दो खुराक काफ़ी ज़्यादा कारगर है। ऐसा पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड यानी पीएचई ने ही शोध के आधार पर कहा है।
कोरोना वैक्सीन पर सरकार ने बड़ा फ़ैसला लिया है। फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियों के लिए नियमों में बड़ी ढील दी है। ऐसी कंपनियों को अब वैक्सीन की आपात मंजूरी के लिए भारत में ट्रायल ज़रूरी नहीं होगा।
फाइजर की वैक्सीन भारत में उपलब्ध होगी या नहीं और होगी तो कब होगी? इस सवाल का जवाब फाइजर के चेयरमैन और सीईओ से एल्बर्ट बाउर्ला से ही जानिए कि भारत में फाइजर की वैक्सीन उपलब्धता पर वह क्या कहते हैं।
फाइजर ने कहा है कि इसकी वैक्सीन भारत में मिले नये स्ट्रेन पर तो 'बेहद प्रभावी' है ही। फाइजर ने यह भी कहा है कि 12 वर्ष से ज़्यादा उम्र के सभी लोग इस टीके को लगवा सकते हैं। कंपनी आपूर्ति भी करना चाहती है तो फिर दिक्कत कहाँ है?
भारत सरकार ने कहा है कि फाइजर और मॉडर्ना कंपनियों के पहले से ही ऑर्डर फुल हैं। यानी भारत को अभी इन कंपनियों की वैक्सीन के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति क्यों आई?
फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियों ने सीधे राज्यों को कोरोना टीके बेचने से इनकार क्यों किया? जानिए, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा है।
ब्रिटेन में एक शोध में यह सामने आया है कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी- एस्ट्राज़ेनेका और फाइज़र की वैक्सीन की दो खुराक भारत में मिले कोरोना वैरिएंट बी1.617.2 पर 80 फ़ीसदी से ज़्यादा कारगर है।
फ़ाइजर ने कोरोना वैक्सीन की आपात मंजूरी के लिए दिया गया अपना आवेदन आख़िरकार वापस ले लिया है। क़रीब दो महीने पहले सबसे पहले फ़ाइजर ने ही भारत में वैक्सीन की मंजूरी के लिए आवेदन किया था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने सबसे पहले जिस फाइज़र की वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है उस वैक्सीन को नॉर्वे में लगवाने वाले कम से कम 29 लोगों की मौत हो चुकी है
कुछ लोग सोशल मीडिया पर अफ़वाह फैला रहे हैं कि कोरोना वैक्सीन में चिप है। इस तरह के कई झूठी जानकारियों पर सुनिए ब्रिटेन से विशेषज्ञ डॉ. रेणु जैनर और दिल्ली से डॉ. विनोद कुमार की बेबाक़ राय।
फ़ाइजर पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने भारत में इमर्जेंसी यूज अथॅराइजेशन के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीजीसीआई के सामने आवेदन दिया है।
वैक्सीन पर ख़ुशख़बरी है। वैक्सीन आख़िरकार इंसानों को अब लगने लगेगी। ब्रिटेन पहला देश बन गया है जहाँ फाइजर वैक्सीन को हरी झंडी मिल गई है। अगले हफ़्ते से यह टीका लगाया जाने लगेगा।