कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में जो वैक्सीन ही अभी तक सबसे महत्वपूर्ण साबित हुई हैं अब उसके बारे में भी चिंतित करने वाली रिपोर्टें आने लगी हैं। लांसेट ने एक शोध प्रकाशित किया है। इसमें पता चला है कि फाइज़र और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन से बनी कोरोना के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी यानी प्रतिरोधी क्षमता 2-3 महीने में ही धीरे-धीरे घटने लगती है। रिपोर्ट के अनुसार 6 हफ़्ते में इस घटने की प्रक्रिया की शुरुआत हो जाती है और क़रीब 10 हफ़्ते में यह घटकर आधी रह जाती है। इन दोनों में से फाइजर की वैक्सीन को तो अभी तक भारत में मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित फ़ॉर्मूले को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया कोविशील्ड के नाम से वैक्सीन तैयार कर रहा है।