बीजेपी ने '400 पार' का जो लक्ष्य रखा है, क्या उसे दक्षिण के राज्यों में सीटें जीते बिना पा सकती है? दक्षिण के राज्यों में बीजेपी की स्थिति क्या है और क्या वह इसमें कामयाब हो पाएगी?
‘छोड़ चला बंजारा’ को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पच्चीसवें रंग महोत्सव में पेश किया गया। जानिए, कैसी रही प्रस्तुति।
शहरों के आत्मा की तलाश करने की कोशिश लेखक क़ेल्विनो ने अपनी रचना "इनविजिबल सिटीज" में की है। द ग्लोबल सिटी इसी से प्रभावित है। इसका मंचन किया गया।
भारतीय रंग महोत्सव में प्रदर्शित यह नाटक रूस के कलाकारों के संघर्ष को भी बयान करता है। इस नाटक को वरिष्ठ पत्रकार शैलेश ने पूरी गंभीरता के साथ देखा है, आप भी जानिएः
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन एस डी) के रंग महोत्सव 24 में नाटक "जीने भी दो यारों" का मंचन किया गया। जानिए, क्या है इस नाटक का कथ्य।
शेक्सपीयर के ओथेलो में राज सत्ता पर क़ब्ज़ा के लिए साज़िश और षड्यंत्र चलते हैं, जिसमें प्यार भी है, ईर्ष्या भी है, धोखा भी है और हत्या भी है। जानिए, भारतीय रचना "शैडो ऑफ ओथेलो" में क्या है।
बाउल संगीत पश्चिम बंगाल का अपनी तरह की शैली का संगीत है। यह अध्यात्मिक रूप लेकर हमारे सामने आता है। जो सुनता है, वही इसका मुरीद हो जाता है। शैलेश से जानिए इस गायन शैली को किन लोगों ने जिन्दा रखा है।
प्रसिद्ध कथक गुरु बीरजू महाराज के द्वारा स्थापित कलाश्रम संगीत और नृत्य विद्यालय के 26वें वसंत उत्सव के अवसर पर ज़ाकिर हुसैन ने तबला के जादू से अद्भुत शमां बांध दिया।
बिहार में बार-बार पलटी मारने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोई जवाब नहीं। 2022 में वो जिससे नाखुश थे, 2024 में उनसे वो खुश हैं। लेकिन उनकी खुशी-नाखुशी का पैमाना बदलता रहता है। वरिष्ठ पत्रकार शैलेश की बिहार की राजनीति पर बहुत नजदीक से नजर रहती है। वो नीतीश के गुस्से को समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
दिल्ली उर्दू अकादमी के नाटक समारोह में नाटक, 'जान ए ग़ज़ल' पेश किया गया। नाटक के माध्यम से जानिए, ग़ज़ल की शैली कैसे विकसित हुई।
भारत की राजनीति के लिहाज से 2023 कैसा रहा? जो घटनाक्रम हुए उसमें संसद, सरकार और न्यायपालिका में किस तरह के घटनाक्रम देखे गए? कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष ने क्या हासिल किया और बीजेपी का रुख कैसा रहा?
बिहार विधानसभा में जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान नीतीश कुमार के यौन शिक्षा को लेकर बयान पर आख़िर हंगामा क्यों मचा है? क्या नीतीश को इसका बड़ा नुक़सान होगा?
महिला आरक्षण बिल पास तो हो गया लेकिन इंडिया गठबंधन बहुत बेहतरीन तरीके से ओबीसी आरक्षण का मुद्दा बहस के केंद्र में ले आया है। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के अन्य दलों ने महिला कोटे के अंदर ही ओबीसी महिलाओं का कोटा तय करने और जाति जनगणना की मांग की है। मोदी सरकार के बिल में ओबीसी महिलाओं का कोटा गायब कर दिया गया है। ओबीसी कोटा अब चुनावी मुद्दा भी बन सकता है।
भारतीय संस्कृति में डाकुओं की भी एक विशेष पहचान रही है। प्रचलित कथाओं के मुताबिक़ अंगूलिमाल नाम का एक ख़तरनाक डाकू बुद्ध के प्रभाव से बौद्ध भिक्षु बन गया था। जानिए, सुल्ताना डाकू के बारे में।
बसपा प्रमुख मायावती ने साफ़ कर दिया है कि आने वाले दिनों में किसी भी राजनैतिक गठबंधन में शामिल नहीं होगी। अकेले दम पर चुनाव लड़ने की आख़िर उनकी रणनीति क्या है?
बिहार की चुनावी राजनीति को लेकर तमाम टीवी चैनल जो आंकड़ों की बाजीगरी कर रहे हैं, वो कितना सच है। क्या बिहार में नीतीश कुमार वाकई कमजोर हो रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का सटीक विश्लेषण पढ़िएः
बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार की नाराज़गी की ख़बर क्यों आ रही है? क्या उनकी किसी महत्वाकांक्षा को धक्का लगा है? जानिए, क्या है राजनीति।
मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी की कहानी "बायन" के आधार पर उषा गांगुली ने नाटक तैयार किया। जानिए, इस नाटक में दलित की किस वास्तविकता को दिखाया गया है।
महाराष्ट्र में एनसीपी में बगावत के बाद अब बिहार में नीतीश कुमार के जेडीयू को लेकर अलग-अलग कयास क्यों लगाए जा रहे हैं? जानिए, आख़िर बिहार की राजनीति में चल क्या रहा है।
लैला मजनूं को प्रसिद्ध नाटककार राम गोपाल बजाज ने नए तरीके से छुआ है। वरिष्ठ पत्रकार शैलेश ने इस नाटक को देखा और उसका किस्सा कुछ यूं बयान किया है।
निहारिका सफ़ाया की नृत्य नाटिका 'द कश्मीरी प्रिन्सेस वारियर' का प्रदर्शन दिल्ली के कमानी सभागार में हुआ। पढ़िए, इस नाटिका की समीक्षा।
गैर भाजपाई दलों को एक सूत्र में पिरोने के लिए कोई मुद्दा चाहिए था, वो उन्हें राहुल गांधी के रूप में मिल गया है। लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि गैर भाजपाई दलों की एकता कब तक कायम रह पाती है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शैलेश ने इसी का जायजा लिया है।
देश के ताजा राजनीतिक परिदृश्य में विपक्षी एकता अब सबसे महत्वपूर्ण हो गई है। विपक्ष के बिना एक हुए, बीजेपी को हराया नहीं जा सकता लेकिन राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का कहना है कि विपक्षी एकता इतना आसान नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के पास क्या विकल्प हैं। पढ़िए उनका नजरियाः
रामचरितमानस को लेकर पहले बिहार में आरजेडी नेता ने और फिर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता ने टिप्पणी की। इस पर विवाद हुआ। तो विवाद से आख़िर किसे फायदा होगा?
सपा नेता आजम ख़ान पर ताज़ा कार्रवाई क्यों? सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान को जेल की सजा सुनाए जाने के बाद क्या अब सबकुछ बदल जाएगा?
समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का असर मुसलमानों पर ही नहीं पड़ेगा, हिन्दू भी इसकी चपेट में आएंगे। क्यों और कैसे, पढ़िए यह लेख।