नौटंकी भारत की एक ख़त्म होती हुई लोक कला है। एक समय पर उत्तर भारत में मनोरंजन का सबसे बड़ा माध्यम रही नौटंकी अब कुछ विशेष मंडलियों तक सीमित है। दिल्ली के श्रीराम सेंटर की नाटक मंडली (रेपर्टरी) ने सुल्ताना डाकू की कहानी को नौटंकी शैली में तैयार किया है। निर्देशक पद्मश्री राम दयाल शर्मा ने इस नाटक में नौटंकी की परंपरा को पुनर्जीवित कर दिया है। उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में सुल्ताना डाकू नाम के एक चरित्र ने उत्तर प्रदेश के कुछ इलाक़ों में दहशत फैला दी थी।

भारतीय संस्कृति में डाकुओं की भी एक विशेष पहचान रही है। प्रचलित कथाओं के मुताबिक़ अंगूलिमाल नाम का एक ख़तरनाक डाकू बुद्ध के प्रभाव से बौद्ध भिक्षु बन गया था। जानिए, सुल्ताना डाकू के बारे में।
1920 के आसपास नजीबाबाद, मुरादाबाद और हरिद्वार से लेकर पंजाब तक के इलाक़ों में सुल्ताना डाकू का राज था। सुल्ताना इस इलाक़े में अमीरों को लूटता था और लूट का ज़्यादातर धन ग़रीबों में बांट देता था। इसलिए वो इलाक़े के ग़रीबों में काफ़ी लोकप्रिय था। सुल्ताना की एक और ख़ासियत ये थी कि वो चिट्ठी भेज कर डाका डालने का दिन पहले से बता देता था। उसका असली नाम सुल्तान सिंह था। उसका जन्म बिजनौर में एक बंजारा भांतू समुदाय में हुआ था। बंजारा भांतू ख़ुद को राणा प्रताप का वंशज बताते हैं।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक