'NRC suicide' in West Bengal-पश्चिम बंगाल के अगरपाड़ा में 'एनआरसी की वजह से आत्महत्या' के मामले ने तूल पकड़ लिया है। ऐसी यह दूसरी घटना है। टीएमसी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का तीखा दौर छिड़ गया है। बंगाल में SIR को चोर दरवाज़े से NRC बताया जा रहा है।
एनआरसी के खिलाफ बंगाल, असम समेत कई राज्यों में प्रदर्शन होते रहे हैं। फाइल फोटो
बंगाल में उत्तर 24-परगना जिले के अगरपाड़ा में एक अधेड़ व्यक्ति ने "एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर)" को जिम्मेदार ठहराते हुए खुदकुशी कर ली। घटना के बाद, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इसके लिए बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR), केंद्र सरकार और केंद्रीय चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है।
57 साल के प्रदीप कर, जो घर में लटके पाए गए थे, ने सुसाइड नोट में "एनआरसी" को दोषी ठहराया है। वह अगरपाड़ा के खारदह नगर पालिका के महाज्योति नगर स्थित उमा अपार्टमेंट में दूसरी मंजिल के अपने फ्लैट में रहते थे। प्रदीप कर गद्दे और फर्निशिंग का कारोबार करते थे। वह अविवाहित थे और अकेले रहते थे। पुलिस ने उनके कमरे से एक डायरी बरामद की है जिसमें NRC से संबंधित कई नोट्स थे। एक पन्ने पर स्पष्ट रूप से लिखा था: "एनआरसी मेरी मौत के लिए जिम्मेदार है।"
खुदकुशी करने वाले प्रदीप SIR से बेचैन क्यों थे
बैरकपुर के पुलिस कमिश्नर मुरलीधर शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों के अनुसार, प्रदीप कर NRC को लेकर गहरी चिंता में थे। सोमवार को SIR (Special Intensive Revision) अभियान की घोषणा के बाद उनकी बेचैनी बहुत बढ़ गई थी। उनके चचेरे भाई समीर कर ने बताया कि प्रदीप सारा दिन NRC और SIR पर ही चर्चा करते थे और कहते थे कि उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जाएगा। परिवार ने उन्हें समझाने की कोशिश की थी, क्योंकि उनके पास आधार, वोटर आईडी और पैन कार्ड जैसे सभी वैध दस्तावेज थे और वह लगभग पाँच दशकों से इस क्षेत्र के निवासी थे। लेकिन चुनाव आयोग बार-बार कह रहा है कि आधार नागरिकता की गारंटी का सबूत नहीं है, इस बात ने उन्हें परेशान कर दिया था। उनके सुसाइड नोट पर लिखा था- "आमार मृत्यु जोंयो एनआरसी दायी (मेरी मौत के लिए एनआरसी जिम्मेदार है)"। प्रदीप कर बंगाल में ही पैदा हुए थे, लेकिन उनके पिता उस स्थान से यहाँ आए थे जो अब बांग्लादेश है। लेकिन उनके पास अपने पिता से जुड़ा कोई दस्तावेज नहीं था।ममता का तीखा हमला, टीएमसी ने अमित शाह-ज्ञानेश कुमार पर एफआईआर की मांग की
घटना के बाद, तृणमूल और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। ममता बनर्जी का रुख बेहद आक्रामक रुख है। मुख्यमंत्री ने इस घटना को "भाजपा की भय और विभाजन की राजनीति का सबसे बड़ा आरोपपत्र" बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह दुखद मौत "भाजपा के विषैले प्रचार" का सीधा नतीजा है और भाजपा NRC के खतरे से मासूम नागरिकों को वर्षों से सता रही है, झूठ फैला रही है और असुरक्षा को वोट के लिए हथियार बना रही है।
ममता बनर्जी ने दोहराया कि "बंगाल कभी भी NRC की अनुमति नहीं देगा" और केंद्र सरकार से इस "बेशर्म खेल" को बंद करने की मांग की। घटना की जानकारी मिलने पर मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य और पनिहाटी के विधायक निर्मल घोष ने प्रदीप कर के घर जाकर परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने SIR को "NRC का बैकडोर" बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ प्रदीप कर की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
भाजपा का ममता बनर्जी पर पलटवार
भाजपा ने ममता बनर्जी पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया है कि यह ममता बनर्जी ही हैं जो NRC पर गलत सूचना फैलाकर लोगों में दहशत पैदा कर रही हैं। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने 'X' कहा कि प्रदीप कर की दुखद मौत की पूरी जांच होनी चाहिए और आत्महत्या के कारण का पता केवल कानून और जांच एजेंसियों द्वारा लगाया जाना चाहिए, न कि राजनीतिक बयानबाजी से। उन्होंने यह भी कहा कि देश में कहीं भी NRC लागू नहीं है और ममता बनर्जी अपने प्रशासन की कमियों को छिपाने के लिए SIR को लेकर लोगों में चिंता फैला रही हैं।
कांग्रेस ने भी ममता पर हमला बोला
कांग्रेस के बंगाल के मुख्य प्रवक्ता, सौम्य एच रॉय ने भाजपा और ममता दोनों को जिम्मेदार ठहराया। एच रॉय ने कहा, "भाजपा और उसके अधीन समझौतावादी चुनाव आयोग अपारदर्शी SIR के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं। प्रदीप कर की मौत बेहद दुखद है। ममता बनर्जी को राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करने के बजाय इस परिवार और बंगाल के लोगों के साथ खड़े होना चाहिए। उन्होंने दावा किया था कि वह बंगाल में SIR को कभी अनुमति नहीं देंगी, लेकिन यह अब यहाँ हो रहा है। इसलिए वह भी जिम्मेदार हैं।"
सीपीएम ने चुनाव आयोग को घेरा
सीपीएम केंद्रीय समिति के सदस्य सामिक लाहिड़ी ने कहा कि चुनाव आयोग के SIR की वजह से लोगों को नागरिकता खोने का डर परेशान कर रहा है। इस खुदकुशी के लिए भारत का चुना आयोग (ईसीआई) दोषी है। उन्होंने कहा कि "बड़े पैमाने पर डर पैदा करना इस अभ्यास का उद्देश्य कभी नहीं था। वह भयावह, बल्कि जानबूझकर अस्पष्टता ही है जो ऐसी आशंकाओं और डर फैलाने के लिए लोगों को मजबूर कर रही है।"