दुनिया के अनेक हिस्सों में पिछले हफ्ते बहुत से दिलचस्प नज़ारे दिखाई दिए हैं। भारत की राजनीति हो, दीपावली का उत्सव हो या दीपावली के दिन ब्रिटेन में एक हिंदू ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनना हो। लेकिन इन सबके बीच जो एक चौंकानेवाला नज़ारा दिखाई दिया वो चीन से था। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कांग्रेस या अधिवेशन में। यह अधिवेशन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नया नेतृत्व चुनता है या चुनता था। यही नेतृत्व चीन की सरकार होता है। पुरानी परंपराओं और नियमों को ताक पर रखकर इस बार शी जिनपिंग को तीसरी बार पार्टी का महासचिव या देश का सर्वोच्च नेता चुन लिया गया। माना जा रहा है कि अब जिनपिंग कम से कम दस साल के लिए और अगर वो चाहें तो ज़िंदगी भर के लिये चीन की सत्ता पर काबिज रह सकते हैं।

शी जिनपिंग के लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनने के पूरी दुनिया के लिए मायने क्या हैं? क्या शी की नीतियों से दुनिया प्रभावित होगी? चीन में शी के रवैये पर कैसी प्रतिक्रिया हुई?
लेकिन देखने लायक नज़ारा यह नहीं था। नज़ारा था, महासचिव के चुनाव से ठीक पहले पूर्व राष्ट्रपति हू जिन्ताओ के साथ हुआ व्यवहार। बैठक शुरू होने के पहले हू को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बग़ल वाली सीट दी गई थी और वो बाकायदा वहां बैठे भी थे। वहाँ आसपास बैठे सभी लोगों के सामने एक लाल फोल्डर रखा था जिसके भीतर कुछ कागज़ात थे। हू जिंताओ ने अचानक अपने सामने का फोल्डर खोलकर उसमें से कागज़ निकाले और पढ़ने लगे, यहीं जैसे कुछ अनहोनी हो गई। उनके बाईं ओर बैठे ली जान्शु ने उनके हाथ से कागज़ झपट कर वापस फोल्डर में रख दिए। ली ज़ान्शु पार्टी में तीसरे नंबर के नेता थे जो इस कांग्रेस के बाद रिटायर हो रहे थे। हू को शायद बात समझ में नहीं आई और उन्होंने फिर वो कागज़ पढ़ने की कोशिश की। लेकिन ज़ान्शु भी डटे रहे और हू का हाथ पकड़कर बंद फोल्डर के ऊपर ही टिकाते रहे।