एफबीआई डायरेक्टर काश पटेल ने यह फोटो शेयर किया है।
चीनी फंगस की तस्करी के तुरंत बाद अब चीनी केंचुए की तस्करी से अमेरिका में सनसनी फैल गई। आखिर ऐसी क्या वजह है कि पहले अवैध तरीके से फंगस लाया गया और फिर अब केंचुआ ? क्या चीन अमेरिका के खिलाफ कोई बड़ी साजिश को अंजाम देने जा रहा है ? तस्करी कर लाए जा रहे चीनी केंचुए की वजह से क्या अमेरिका अनाज के लिए तरस जाता?
एक बार फिर से अमेरिका के कस्टम अधिकारियों ने अवैध बायोलॉजिकल स्मगलिंग के मामले में एक चीनी छात्रा, चेंग्जुआन हान को हिरासत में लिया है। उस पर आरोप है कि उसने केंचुए जिसे अंग्रेजी में राउंडवर्म कहते हैं उससे जुड़ी जैविक चीजों को बिना इजाजत अमेरिका लाने की कोशिश की। यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि हान ने न सिर्फ गैरकानूनी तरीके से ये सामग्री लाने की कोशिश की, बल्कि जांच करने वाले अफसरों से झूठ भी बोला। ये मामला पिछले कुछ दिनों में इस तरह का दूसरा बड़ा मामला है, जिसमें जैविक चीजों की तस्करी की कोशिश पकड़ी गई है।
एफबीआई के मुताबिक, चेंग्जुआन हान चीन के वुहान में हुआझोंग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में पीएचडी कर रही हैं। वो अमेरिका के मिशिगन यूनिवर्सिटी में एक प्रोजेक्ट के लिए आई हैं। लेकिन जांच में पता चला कि उन्होंने कई महीने पहले कुछ जैविक सामग्री वुहान लैब से मिशिगन की लैब में भेजी थी। इस सामग्री को भेजने के लिए सरकार से इजाजत लेनी जरूरी थी, जो उन्होंने नहीं ली। आपको बता दें कि वुहान लैब पहले भी कोविड 19 के बाद से काफी चर्चा में रह चुका है क्योंकि यही वो लैब है जहां से कोरोना वायरस फैला था ।
संघीय दस्तावेजों के मुताबिक, चेंग्जुआन हान ने चीन से मिशिगन यूनिवर्सिटी की एक लैब में चार पैकेज भेजे। इन पैकेजों में केंचुओं से जुड़ी जैविक सामग्री थी, जिसे अमेरिका में लाने के लिए खास सरकारी इजाजत चाहिए। अधिकारियों का कहना है कि इनमें से एक पैकेज को किताब के अंदर छिपाया गया था। जब चेंग्जुआन हान डेट्रॉइट पहुंची, जांच होने पर उन्होंने कहा कि उन्हें पैकेजों के बारे में कुछ नहीं पता और न ही बताया कि उनमें क्या है। अधिकारियों ने बताया कि हान ने कुछ दिन पहले ही अपने फोन और बाकी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से डेटा हटा दिया था। जांच करने वालों का मानना है कि यह जानबूझकर किया गया ताकि जांच में रुकावट आए। हालांकि बाद में पूछताछ में, हान ने खुद ही स्वीकार किया कि उन्होंने पैकेज भेजे थे और अधिकारियों से पैकेज के बारे में झूठ भी बोला था।
एफबीआई के निदेशक काश पटेल ने इस मामले की जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा कि ‘कल, डेट्रॉइट में एक और चीनी नागरिक को जैविक सामग्री की तस्करी और संघीय एजेंटों से झूठ बोलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया’ । पटेल का यह भी कहना है कि एफबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियां खतरनाक जैविक सामग्री की तस्करी को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई कर रही हैं। उनका मानना है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) अमेरिका के शोध संस्थानों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई है। पिछले दस दिनों में जैविक तस्करी के दो बड़े मामले सामने आए हैं। अमेरिकी अधिकारी इसे गंभीरता से ले रहे हैं, क्योंकि यह फसलों में हेड ब्लाइट जैसी गंभीर बीमारी फैला सकता है और फसल को नष्ट कर सकता है । इससे न केवल किसानों को नुकसान होता है, बल्कि खाद्य पदार्थों की भारी कमी का भी सामना करना पड़ सकता है ।
फंगस की तस्करी में दो गिरफ्तार
पिछले हफ्ते, मिशिगन विश्वविद्यालय से जुड़े दो चीनी नागरिक युनकिंग जियान और जुनयोंग लियू को भी गिरफ्तार किया गया था। इन पर फ्यूजेरियम ग्रैमिनियरम नामक एक खतरनाक फंगस की तस्करी का आरोप है। यह फंगस फसलों को नष्ट कर सकता है और मानव-पशुओं के लिए भी हानिकारक हो सकता है। हैरानी की बात यह है कि जियान और लियू इस फंगस को अपने जूतों में छिपाकर लाने की कोशिश कर रहे थे।
गौर करने की बात यह है कि जियान, लियू और हान तीनों ने ही मिशिगन यूनिवर्सिटी के लैब में ही तस्करी कर फंगस और केंचुए भेजने की कोशिश की । अब इस मामले की भी जांच की जा रही है कि इन तीनों का आपस में क्या कनेक्शन था और क्या इनके साथ और भी लोग शामिल हैं ?
अमेरिकी न्याय विभाग ने साफ किया है कि जैविक तस्करी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है। चेंग्जुआन हान पर बायोलॉजिकल तस्करी, झूठे बयान देने और वीजा धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं। यह मामला अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और भी ज्यादा खराब कर रहा है। अब अमेरिका चीनी वैज्ञानिकों पर कड़ी नजर रख रहा है, खासकर उन पर जो संवेदनशील वैज्ञानिक अनुसंधान से जुड़े हैं।
इस तरह की जैविक सामग्री की तस्करी बहुत गंभीर है। यह फसलों को बर्बाद कर सकती है और अगर गलत लोगों के हाथ लग जाए, तो इसे जैविक हथियार की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे 'एग्रोटेरोरिज्म' कहते हैं, क्योंकि यह खेती और खाने की सप्लाई को निशाना बनाता है।
शोध के लिए जैविक सामग्री लाने के नियम सख्त लेकिन साफ हैं। ऐसी तस्करी गैरकानूनी है और यह उन शोधकर्ताओं के काम को भी नुकसान पहुंचाती है जो नियमों का पालन करते हैं। यह मामला सिर्फ अमेरिका और चीन के रिश्तों को ही नहीं प्रभावित कर रहा, बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए भी एक चेतावनी है।