भारतीय माता-पिता ग्रीन कार्ड पाने के लिए नाबालिगों को अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर छोड़ देते हैं। ऐसे बरामद बच्चों की चौंकाने वाली संख्या सामने आई है। जानिए पूरा मामलाः
यूएस-मेक्सिको बॉर्डर
कई भारतीय परिवार अमेरिका की सीमा पर अपने नाबालिग बच्चों को छोड़ दे रहे हैं। इन बच्चों के पास कुछ नहीं होता है सिवा एक पर्ची के जिनमें उनके माँ-बाप का नाम होता है। कहा जा रहा है कि भारतीय परिवार ऐसा ग्रीन कार्ड पाने के लिए कर रहे हैं।
अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच कम से कम 77 बच्चे बिना किसी साथी के सीमा सुरक्षा द्वारा पकड़े गए। उन्हें अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर छोड़ दिया जाता है। आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक, 77 में से 22 बच्चे कनाडा के रास्ते से पकड़े गए। कुछ अन्य को देश के अंदर रोका गया। ये बच्चे परिवारों के लिए ग्रीन कार्ड की तरह काम करते हैं। इनके माता-पिता इनके आधार पर मानवीय कारणों से शरण माँगते हैं। ये बच्चे अमूमन 12 से 17 साल की उम्र के होते हैं। कुछ मामलों में बच्चे छः साल के भी हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के कई परिवारों ने इस रास्ते को अपनाने की बात कबूल की है। एक मामला मेहसाणा का सामने आया। यहाँ के वकील और उसकी पत्नी ने महामारी के दौरान अवैध रूप से अटलांटा में प्रवेश किया। उन्होंने अपने दो साल के बेटे को भारत में छोड़ दिया। तीन साल बाद, उनका चचेरा भाई बच्चे को अवैध रूप से लेकर अमेरिका पहुँचा। उसने बच्चे को टेक्सास की सीमा पर छोड़ दिया। बच्चे के पास केवल एक नोट था जिसमें उसके माँ-पिता की संपर्क जानकारी लिखी हुई थी। दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने अवैध प्रवास पर सख्ती करने की योजना बनाई है। वे ऐसे बच्चों को ढूंढकर निर्वासित करने या उन पर मुकदमा चलाने की तैयारी कर रहे हैं।
इस मामले में माँ बाप का अक्सर कहना होता है कि वे अपने बच्चों के भारत में पढ़ाई पूरी करने का इंतज़ार नहीं कर सकते। अगर बच्चे छोटी उम्र में अमेरिका पहुँच जाएँ तो वे वहाँ पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। वे नौकरी पा सकते हैं और अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
ट्रम्प प्रशासन की माइग्रेशन नीति के सख्त होने के बाद स्थितियाँ बदली हैं। है। अमेरिका की सख्त नीतियाँ बच्चों और उनके परिवारों के लिए नई चुनौतियाँ ला रही हैं। गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) के अधिकारी अब ऐसे बच्चों को ढूंढ रहे हैं। ट्रम्प प्रशासन की नई नीतियों के तहत उन्हें निर्वासित किया जा सकता है। उन पर आपराधिक मुकदमे भी चलाए जा सकते हैं। पहले से ही कई बच्चों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए, एक दो साल के अमेरिकी नागरिक को होंडुरास निर्वासित कर दिया गया। बताया जा रहा है कि अमेरिकी प्रशासन इन इस दो साल के बच्चे को निर्वासित करने के लिए कोई भी जरूरी प्रक्रिया पूरी नहीं की।
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह कदम बच्चों की भलाई के लिए उठाया जा रहा है। हालांकि फ़ैक्ट कुछ और हैं। इस साल ऐसे बच्चों को कानूनी सलाह देने के लिए फंडिंग भी कम कर दी गई है। कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद फंड नहीं मिले। इसके अलावा, बिना अभिभावक वाले बच्चों की निगरानी करने वाली फेडरल एजेंसी ने ICE के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करना शुरू कर दिया है।
इन हालात में भारतीय परिवारों का यह कदम बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने की चाहत में परिवार बड़े जोखिम ले रहे हैं। बच्चों को सीमा पर छोड़ना कानूनी रूप से भी गंभीर परिणाम ला सकता है। अमेरिकी प्रशासन की सख्त नीतियाँ इसे मुश्किल तो बना ही रही हैं। बच्चों को अकेले सीमा पर छोड़ना उनके लिए मानसिक और शारीरिक रूप से हानिकारक हो सकता है। कई बच्चे लंबी और खतरनाक यात्राएँ करते हैं। वे अनजान लोगों पर निर्भर होते हैं। सीमा पर पकड़े जाने के बाद उन्हें हिरासत में रखा जाता है। इस दौरान उनकी देखभाल और सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है।