संसदीय इतिहास के इस खुफिया विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्ठी लिखी है, और महंगाई, भारत-चीन सीमा विवाद और मणिपुर जैसे 9 मुद्दों पर चर्चा की मांग की है। विशेष सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर तक चलेगा। पहले दिन का कामकाज पुरानी बिल्डिंग में होगा लेकिन दूसरे दिन से सभी सांसद नए भवन में बैठेंगे। इस विशेष सत्र में पहला अवसर होगा जब विपक्ष एक नयी शक्ल में संसद पहुंचेगा । विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए में शामिल 28 में से 24 दल संसद के विशेष सत्र में शामिल होंगे। विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार पहली बार बिना एजेंडा बताए संसद का विशेष सत्र बुला रही है। किसी भी विपक्षी दल से न तो सलाह ली गई और न ही जानकारी दी गई है।जाहिर है की सरकार विपक्ष के एजेंडे पर नहीं बल्कि अपने खुफिया एजेंडे पर काम करेगी और इसी को लेकर संसद का विशेष सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ेगा । सरकार चाहती भी यही है कि संसद के हंगामे के बीच वो अपनी खुफिया कार्यसूची पर ध्वनिमत से प्रस्तावों यानि विधेयकों को पारित करा ले।
संसद के विशेष सत्रों की एक परम्परा रही है कि स्तर आहूत करने की घोषणा के साथ ही संसदीय कार्यमंत्री संसद की कार्यसूची को भी सार्वजनिक करते है। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि विपक्षी दल भी अपनी-अपनी तैयारी कर लें, इस बार विपक्ष को भरोसे में लिया ही नहीं गया। सरकार के हिसाब से विपक्ष भरोसे में लेने के लायक है ही नहीं। जिस देश में विपक्ष का इतना मान-मर्दन हो रहा हो उस देश में लोकतंत्र कि क्या दशा होगी, आप कल्पना कर सकते हैं ? अब विपक्ष केवल विपक्ष न होकर सरकार को एक शत्रु सेना दिखाई दे रही है। विपक्ष से सब कुछ छिपाने का और क्या मकसद हो सकता है । विपक्ष की ताकत सीमित है । विपक्ष सरकार को गिरा नहीं सकता। संसद के पिछले सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान ये साबित हो चुका है लेकिन सरकार है कि विपक्ष से भयभीत है। संसद के विशेष सत्र से पहले मंत्रीमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल के सदस्यों को जिस तरह से ' क्या करें और क्या न करें ' की हिदायतें दीं हैं उससे लगता है कि कुछ न कुछ ' घल्लू-घारा ' होने वाला है। प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों से कहा है कि वे जी -20 समूह की बैठक और ' इंडिया बनाम भारत ' के विवाद पर कुछ न बोलें। मोदी ने मंत्रियों को सनातन धर्म विवाद पर बोलने की छूट दी। लेकिन कहा कि आपका जवाब मुद्दे पर आधारित होना चाहिए, संविधान किसी भी धर्म की अपमान की इजाजत नहीं देता।