ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को उम्मीद थी कि अमेरिका पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अपनाएगा लेकिन हुआ उल्टा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान को एक ही पलड़े पर तौल दिया। वे दोनों को ही संयम बरतने की नसीहत देने लगे और फिर दावा किया कि युद्धविराम तब हुआ जब उन्होंने ट्रेड बंद करने की धमकी दी थी। लेकिन इस बीच पाकिस्तान में ट्रंप परिवार के आर्थिक हितों का भी मामला सामने आया है जिसने इशारा किया है कि पाकिस्तान के प्रति ट्रंप की नरमी यूँ ही नहीं थी।
9 जुलाई, 2025 को पाकिस्तान ने वर्चुअल एसेट्स एक्ट पास किया, जिसके तहत पाकिस्तान वर्चुअल एसेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (PVARA) की स्थापना की गई। यह अथॉरिटी क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन से जुड़े सभी कार्यों को नियंत्रित करेगी। इस कानून का उद्देश्य पाकिस्तान में क्रिप्टो की बढ़ती लोकप्रियता को एक ढांचे में लाना है।
पाकिस्तान में क़रीब 2 करोड़ लोग पहले से ही क्रिप्टो में निवेश कर रहे हैं और 2024 के Chainalysis डेटा के अनुसार, यह देश क्रिप्टो अपनाने में 9वें स्थान पर है, जहाँ सालाना 300 बिलियन डॉलर के लेन-देन होते हैं। लेकिन यह कानून सिर्फ आर्थिक सुधारों तक सीमित नहीं है। कुछ विश्लेषक इसे भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानते हैं। कारण? इसमें ट्रंप परिवार का कनेक्शन है।
क्रिप्टो करेंसी क्या है?
क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल मुद्रा है, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। यह एक डीसेंट्रलाइज्ड सिस्टम है, यानी इसे कोई केंद्रीय बैंक या सरकार नियंत्रित नहीं करती। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बिटकॉइन, जिसे 2009 में सातोशी नाकामोतो नाम के एक अज्ञात व्यक्ति या समूह ने लॉन्च किया। इसका मकसद था ऐसी मुद्रा बनाना, जो बैंकों और सरकारों से स्वतंत्र हो।
क्रिप्टो सीमित मात्रा में जारी की जाती है, जिससे मांग बढ़ने पर इसकी कीमत बढ़ती है। आज बिटकॉइन के अलावा इथेरियम, रिपल, और $TRUMP जैसी हजारों क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं। ब्लॉकचेन एक डिजिटल बहीखाता है, जो हर लेन-देन को क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित करता है, जिससे इसे हैक करना मुश्किल होता है।
क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। हैकिंग, स्कैम, और बाजार की अस्थिरता बड़े जोखिम हैं। मिसाल के तौर पर 2024 में बिनांस के संस्थापक चांगपेंग झाओ को क्रिप्टो धोखाधड़ी के लिए जेल हुई थी।
कुछ देश, जैसे अल सल्वाडोर, ने बिटकॉइन को कानूनी मुद्रा बनाया है, लेकिन भारत जैसे देश सतर्क हैं और क्रिप्टो ट्रेड पर 30% टैक्स लगाते हैं। IMF और FATF जैसे संगठन क्रिप्टो को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के लिए जोखिम मानते हैं।
ट्रंप की क्रिप्टोकरेंसी: $TRUMP
20 जनवरी, 2025 को, अपने 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ से ठीक तीन दिन पहले, डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी क्रिप्टोकरेंसी $TRUMP लॉन्च की। इसे CIC डिजिटल LLC ने जारी किया, जो पहले ट्रंप के नाम से ब्रांडेड जूते और परफ्यूम बेचती थी। CoinMarketCap.com के अनुसार, लॉन्च के कुछ घंटों में ही $TRUMP का मार्केट कैप 5.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो ट्रंप के ब्रांड की ताकत को दर्शाता है।
आलोचकों, जैसे क्रिप्टो वेंचर कैपिटलिस्ट निक टोमैनो, ने इसे राष्ट्रपति पद का दुरुपयोग बताया। टोमैनो ने कहा, “ट्रंप की 80% हिस्सेदारी और शपथ से पहले क्रिप्टो लॉन्च करने से उन्हें आर्थिक लाभ होगा, जबकि कई निवेशकों को नुकसान हो सकता है।”
आलोचनाओं से बेपरवाह, ट्रंप परिवार ने अपनी क्रिप्टो महत्वाकांक्षाओं को वैश्विक स्तर पर ले लिया, जिसमें पाकिस्तान के साथ एक बड़ा सौदा शामिल है।
ट्रंप-पाकिस्तान कनेक्शन
वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) में ट्रंप के बेटों एरिक ट्रंप, डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, और दामाद जारेड कुशनर की 60% हिस्सेदारी है। 26 अप्रैल, 2025 को इसने पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PCC) के साथ एक लेटर ऑफ इंटेंट साइन किया। इस सौदे का लक्ष्य ब्लॉकचेन इंफ्रास्ट्रक्चर, स्थिर सिक्कों (stablecoins) और डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) प्रोजेक्ट्स के जरिए पाकिस्तान को दक्षिण एशिया का क्रिप्टो हब बनाना है।
WLF ने पाकिस्तान को राष्ट्रीय संपत्तियों को टोकनाइज करने और मजबूत ब्लॉकचेन ढांचा बनाने में मदद का वादा किया है। लेकिन इस सौदे की टाइमिंग संदिग्ध है। यह 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए) के ठीक बाद और भारत के ऑपरेशन सिंदूर (7 मई, 2025), से पहले साइन हुआ।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने WLF के प्रतिनिधिमंडल का व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया जिसका नेतृत्व ट्रंप के सहयोगी स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकरी विटकॉफ ने किया था। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ भी एक बैठक हुई। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि यह सौदा पाकिस्तान की ट्रंप प्रशासन से नजदीकी बढ़ाने की रणनीति थी, खासकर जब भारत-पाक तनाव चरम पर था।
इसके अलावा, ट्रंप ने 10 मई, 2025 को भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की मध्यस्थता का दावा किया, जिसमें उन्होंने कहा, “मैंने युद्ध रुकवाया। मैं पाकिस्तान से प्यार करता हूँ।” अमेरिका की सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने भी पाकिस्तान को “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शानदार साझेदार” बताया। इन बयानों और मुनीर के व्हाइट हाउस लंच निमंत्रण ने सवाल उठाए कि क्या पाकिस्तान इस सौदे के जरिए ट्रंप परिवार को लाभ पहुंचा रहा है।
अमेरिकी सीनेट की जांच
परमानेंट सबकमिटी ऑन इन्वेस्टिगेशंस (PSI), जो होमलैंड सिक्योरिटी कमिटी के तहत काम करती है और सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल के नेतृत्व में है, WLF और PCC के बीच सौदे की जांच कर रही है। मुख्य मुद्दे हैं:
हितों का टकराव: क्या ट्रंप परिवार की WLF में हिस्सेदारी ने अमेरिकी विदेश नीति, खासकर ट्रंप के मध्यस्थता दावों को प्रभावित किया?
पारदर्शिता: सीनेट ने WLF से शहबाज शरीफ के साथ सभी पत्राचार साझा करने को कहा है। जैकरी विटकॉफ और जनरल मुनीर की भागीदारी ने संदेह बढ़ाया है।
सुरक्षा जोखिम: 2024 नेशनल टेरेरिस्ट फाइनेंसिंग रिस्क असेसमेंट (NTFRA) ने स्थिर सिक्कों को आतंकी वित्तपोषण के लिए जोखिम बताया। भारत ने चिंता जताई कि पाकिस्तान का क्रिप्टो हब बनना भारतीय निवेशकों के डेटा को खतरे में डाल सकता है।
भू-राजनीतिक प्रभाव: यह सौदा पाकिस्तान को ट्रंप प्रशासन से करीबी बनाने में मदद कर सकता है, खासकर जब वह FATF ग्रे लिस्ट से बाहर रहने की कोशिश कर रहा है।
FATF की ग्रे लिस्ट में पाक
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण को रोकने के लिए वैश्विक मानक तय करता है। इसकी ग्रे लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है, जिनके वित्तीय तंत्र में कमियां होती हैं, जिन्हें अतिरिक्त निगरानी की जरूरत होती है।
पाकिस्तान का FATF ग्रे लिस्ट के साथ इतिहास:
- 2008-2010: फरवरी 2008 में कमजोर AML/CFT उपायों के कारण ग्रे लिस्ट में शामिल; जून 2010 में सुधारों के बाद हटाया गया।
- 2012-2015: फरवरी 2012 में गैर-अनुपालन के लिए फिर से शामिल; फरवरी 2015 में सुधारों के बाद हटाया गया।
- 2018-2022: जून 2018 में आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ अपर्याप्त कार्रवाई के लिए ग्रे लिस्ट में शामिल। FATF ने 27 बिंदुओं का एक्शन प्लान दिया, जिसे बाद में 34 बिंदुओं तक बढ़ाया गया। सितंबर 2022 में ऑन-साइट विजिट के बाद, अक्टूबर 2022 में पाकिस्तान को हटा लिया गया।
हालांकि, पाहलगाम हमले के बाद भारत 2025 में पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने की मांग कर रहा है। भारत का दावा है कि पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के वादों का पूरी तरह पालन नहीं किया। भारत जून 2025 की FATF बैठक में इसके लिए डोजियर पेश करेगा। ग्रे लिस्ट में होने से विदेशी निवेश कम होता है, लेन-देन की लागत बढ़ती है, और देश की वैश्विक साख को नुकसान पहुंचता है।
भारत और वैश्विक प्रभाव
WLF-PCC सौदा और पाकिस्तान की क्रिप्टो महत्वाकांक्षाएं भारत के लिए गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं। अगर पाकिस्तान क्रिप्टो हब बनता है, तो यह भारतीय निवेशकों के डेटा को खतरे में डाल सकता है, खासकर पाहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़े तनाव के बीच। अमेरिकी सीनेट की जांच यह तय करेगी कि क्या ट्रंप परिवार के व्यापारिक हितों ने अमेरिकी विदेश नीति की निष्पक्षता को प्रभावित किया।
इस बीच, ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति रुख और जनरल कुरिल्ला का बयान FATF की बार-बार की आलोचनाओं के विपरीत है। क्या यह व्यापारिक हितों का नतीजा है? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।
पाकिस्तान का वर्चुअल एसेट्स एक्ट, 2025 सिर्फ एक नियामक कदम नहीं, बल्कि एक भू-राजनीतिक रणनीति है, जो ट्रंप परिवार के क्रिप्टो व्यापार से जुड़ी है। जैसे-जैसे अमेरिकी सीनेट जांच करती है और भारत सतर्कता से नजर रखता है, दुनिया इस सवाल का जवाब ढूंढ रही है कि क्या निजी आर्थिक लाभ अंतरराष्ट्रीय संबंधों को आकार दे रहे हैं?