Bihar Assembly Election 2025: बिहार में जिस तरह से राहतों और योजनाओं की बारिश हो रही है, उससे जेडीयू-बीजेपी सरकार की हालत समझी जा सककी है। अब इसी कड़ी में मुफ्त बिजली की घोषणा की तैयारी की जा रही है।
अब जबकि बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने में केवल दो महीने बचे हैं, नीतीश सरकार ऐसी घोषणाएं कर रही हैं जिनसे पहले वह बचा करती थी या उनका विरोध करती थी। यह ऐसी घोषणाएं हैं जिनके बारे में यह माना जा सकता है कि यह चुनावी छटपटाहट की वजह से की जा रही हैं।
नीतीश सरकार ने हाल ही में सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 करने की घोषणा की थी और उस पर ताबड़तोड़ अमल भी कर दिया गया। इसके बाद अब यह खबर सामने आई है कि बिहार सरकार ने राज्य में 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने की तैयारी पूरी कर ली है। इसके लिए ऊर्जा विभाग ने योजना बनाई और वित्त विभाग ने इसे अनुमोदित कर दिया है, अब बस इसे कैबिनेट से पास होना बाकी है।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि बढ़ाने का फैसला पिछले ही महीना हुआ था। इस योजना को कितनी जल्दी लागू किया गया इसका अंदाजा इस बात से लग सकता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के एक करोड़ 11 लाख से अधिक लाभार्थियों के खाते में 1227.27 करोड़ रुपये ट्रांसफर भी कर दिए। यही नहीं उन्होंने यह घोषणा भी की कि विभाग को निर्देश दिया है कि दस तारीख तक पेंशन राशि भेज दें।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मौके पर 2005 के पहले की व्यवस्था पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि उन्होंने सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया है। लेकिन उनके आलोचक कहते हैं कि लंबे समय से महज ₹400 की सामाजिक सुरक्षा की पेंशन दी जा रही थी और विपक्ष के दबाव में आकर उन्होंने इसे बढ़ाने का फैसला किया है।
ध्यान रहे कि महागठबंधन की ओर से राजद के वरिष्ठ नेता तेजस्वी प्रसाद यादव और महागठबंधन के दूसरे नेता यह वादा कर रहे हैं कि जब उनकी सरकार आएगी तो झारखंड की तर्ज पर बिहार में भी महिलाओं को ढाई हजार रुपए की सहयोग राशि दी जाएगी। इसके अलावा महागठबंधन की ओर से सामाजिक सुरक्षा की पेंशन राशि को बढ़ाकर डेढ़ हजार रुपए करने का ऐलान किया गया है।
राजद नेता तेजस्वी यादव यह कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार की सरकार उनकी योजनाओं की नकल कर रही है और राजनीतिक पर्यवेक्षक भी कहते हैं कि सामाजिक सुरक्षा की पेंशन राशि बढ़ाने की वजह विपक्षी दबाव और विधानसभा का चुनाव है। अब 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने के प्रस्ताव को भी चुनावी छटपटाहट माना जा रहा है
इसकी वजह यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में मुफ्त बिजली देने के विरोधी रहे हैं और ऐसा जब भी कोई प्रस्ताव आया तो उन्होंने साफ तौर पर यह कहा कि ऐसा संभव नहीं है। इसके अलावा ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव भी यह कहते रहे हैं कि बिजली में पहले से ही सब्सिडी दी जा रही है और अब मुफ्त बिजली देने की कोई वजह नहीं है। अब अगर मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास हो जाता है तो यह नीतीश कुमार की नीति में एक बड़ा यू टर्न होगा।
पड़ोसी राज झारखंड में हेमंत सरकार की महागठबंधन सरकार ने 200 यूनिट बिजली देने की व्यवस्था कर रखी है और बताया जा रहा है कि इससे उन्हें चुनाव में काफी लाभ हुआ था। महागठबंधन की ओर से भी 200 यूनिट बिजली देने की बात बिहार में भी कही जा रही है और शायद इसका असर नीतीश कुमार की सरकार पर पड़ा है। कुछ सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के दबाव में आकर बिजली मुफ्त देने की प्रस्ताव पर सहमत हुए हैं हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे भाजपा नेता ऐसी योजनाओं को ‘मुफ्त की रेवड़ी’ बताकर इसकी आलोचना भी करते रहे हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि नीतीश कुमार सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी और खुद उनकी अपनी पार्टी जदयू को शायद यह एहसास है कि इस बार का चुनाव 2020 के विधानसभा चुनाव से ज्यादा मुश्किल है। राजनीतिक समीकरणों के अलावा जनता के बीच अलोकप्रियता इस डर की बड़ी वजह बनी है। यही वजह है कि लोगों को लुभाने के लिए नीतीश सरकार ताबड़तोड़ घोषणाएं कर रही है।
नीतीश सरकार और एनडीए के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन और मुफ्त बिजली के अलावा बिहार में डोमिसाइल नीति भी एक बड़ी चुनौती बन सकती है। राजद नेता तेजस्वी यादव लगातार डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग कर रहे हैं और ऐसा बताया जा रहा है कि इस वजह से उन्हें बेरोजगार युवाओं का बड़ा समर्थन मिल सकता है।
शायद इसी का दबाव है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिलहाल बिहार की नौकरियों में महिलाओं के लिए जो आरक्षण है उसमें डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा की है और इसे तुरंत लागू भी कर दिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षक बताते हैं कि सरकार की ओर से घोषणाओं के बाद उस पर इतनी तेजी से अमल करना चुनावी छटपटाहट की वजह से ही है।
नीतीश सरकार ने चुनावी छटपटाहट में कई और फैसले भी लिए हैं जो चर्चा का विषय हैं। यह घोषणा की गई है कि बिहार में अब युवा आयोग का भी गठन होगा जिसमें आठ सदस्य होंगे। इसके बारे में भी राजद नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि यह दरअसल उनकी योजना की ही कॉपी है। इससे कुछ ही पहले नीतीश सरकार ने विभिन्न अयोगों और बोर्ड्स में अध्यक्ष और दूसरे पदों को भरा था ताकि चुनावी वर्ष में नेताओं की नाराजगी को कम किया जाए।