सोमवार रात के साढ़े ग्यारह बजे। दिल्ली में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए और महागठबंधन के बीच का घमासान पटना पहुँच चुका है। किसे कितनी सीटें मिलीं, मिलेंगी और उन सीटों पर किसे सिम्बल मिला, मिलना शुरू हुआ या फिर मिलने वाला है- ये कौतूहल का विषय है। चाहे पार्टी हो या फिर उम्मीदवार उनकी सियासी किस्मत से जुड़ा यह विषय पूरे बिहार की सियासी तकदीर भी लिखने वाला है।

विभिन्न राजनीतिक दलों के दफ्तरों के बाहर का माहौल जानना इस समय दिलचस्प है। दरअसल, शाम से ही पटना के प्रमुख दलों के दफ्तरों के चक्कर लगा रहा हूँ। भाजपा से शुरू कर जदयू, आरजेडी, कांग्रेस, एलजेपी और एचएएम तक। हर दफ्तर में माहौल अलग है लेकिन एक कॉमन धागा है ‘टिकट’ की लालसा। बाहर सड़कें सूनी, लेकिन अंदर का तूफान ऐसा कि दीवारें कांप रही हैं। आइए, घुसते हैं इन दफ्तरों के अंदर, जहां उम्मीदें सुलग रही हैं और नाराजगी भड़कने को बेताब।
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भाजपा दफ्तर, 8, वीरचंद पटेल पथ

सोमवार की शाम सात बजे पहुंचा तो दफ्तर के बाहर पार्किंग एरिया फुल थी। यू ट्यूबर्स की भीड़ दिखी। गेट के अंदर घुसते समय शरीरें टकरा रही थीं। इतनी भीड़ थी। फिर भी सिक्योरिटी कम नहीं। अंदर हॉल में कुर्सियां सजी हैं मगर बैठने से ज्यादा खड़े होकर बात करने में लोगों की रुचि। बीजेपी नेता निखिल आनन्द मिल गए। “तैयारी हो गयी?” मेरे पूछने के अंदाज में सवाल से ज्यादा जवाब था, “थोड़ा ऑफिशियल हो जाए”। मनेर से आपके नाम की खबर मैंने भी पता की है। मुस्कुराते हुए हामी भरते हैं। पास ही खड़े एक पूर्व विधायक ने कहा "साहब, दिल्ली का ऐलान तो हो गया, लेकिन हमारी बारी कब?" 

पार्टी का दफ्तर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बड़े-बड़े कटआउट से अटा पड़ा है। “नरेंद्र मोदी जिन्दाबाद” के नारे भी गूंज रहे हैं। हंसी-मजाक भी चल रहा है। एक कार्यकर्ता कहता है, “सोनबरसा पर भाजपा दावा छोड़ चुकी है।“ दूसरे ने कहा, “इहां तो जेडीयू-चिराग में खींचतान है। बवाल मचल है।” एक युवा कार्यकर्ता मोबाइल पर लाइव न्यूज स्क्रॉल करता हुआ चिल्लाता है, "एनडीए मजबूत है, लेकिन चिराग भैया ने हिलसा छीन लिया!" हंसी-मजाक में तनाव छिपा है। सम्राट चौधरी के तारापुर से चुनाव लड़ने की बात कहते हुए बीजेपी के एक सीनियर नेता कहते हैं, “बीजेपी के लिए सबकुछ ठीक है। थोड़ा बहुत किचकिच कहां नहीं होता।”

सम्राट चौधरी

रात नौ बजे हैं। माहौल में उत्साह है लेकिन जेडीयू, हम और आरएलएम को लेकर खुसफुसाहट भी है। चिराग ने बाजी मार ली है। यह बात आम तौर पर बीजेपी दफ्तर में लोग कहते नज़र आए। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के लिए भी सहानुभूति दिखी। चिराग के लिए 29 सीट की कुर्बानी इन दलों को देनी पड़ी है। इस बीच यह सूचना भी साझा की जा रही थी कि अमुक-अमुक को फोन आया है। नामांकन भरने की तैयारी हो रही है। 15 अक्टूबर से बीजेपी के नेता नामांकन भरने लगेंगे। दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा बुधवार को तारापुर और लखीसराय में बुधवार को नामांकन करेंगे।
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जदयू दफ्तर, 1, बीरचंद पटेल पथ

बीजेपी के दफ्तर से 100 मीटर की दूरी पर ही जेडीयू का दफ्तर है। नौ बजे जेडीयू दफ्तर का रुख किया। भीड़ में कोई कमी नहीं। मगर, माहौल में नाराज़गी है। नीतीश कुमार का पोस्टर बाहर चिपका है, लेकिन अंदर हॉल में 50 से ज्यादा टिकटार्थी डेरा डाले हुए हैं। जायजा लेकर हम निकल जाते हैं। दोबारा करीब 11 बजे रात को यह खबर पाकर हम जेडीयू दफ्तर पहुंचे कि संजय झा को नीतीश कुमार ने फटकारा है। यहां भी यह चर्चा गरम थी। लोग नीतीश के साथ दिखे। संजय झा का नाम लिए बगैर लोग आपस में चर्चा कर रहे थे, “दलालों ने पार्टी बेच दी।” 

हिलसा और साहेबपुर कमाल एलजेपी को चले जाने की खबर पर चाय के कप फेंके जा रहे थे। एक वरिष्ठ नेता, चेहरा लाल किए हुए  चिल्लाते हैं, "हमने गठबंधन बचाया, और ये इनाम?" बाहर पार्किंग में गाड़ियां ठुंसी पड़ी हैं, ड्राइवर चाय स्टॉल पर बहस कर रहे। तूफान से पहले की शांति कह सकते हैं। नीतीश का नाम लेते ही सब चुप, लेकिन आंखें सवाल पूछती दिखीं।

एक अणे मार्ग पर सीएम नीतीश कुमार का घर

सीएम आवास के बाहर हलचल है। रात के 12 बज रहे हैं। गेट के बाहर भीड़ है। गोपालपुर से विधायक गोपाल मंडल यहां विरोध का तेवर अपनाए हुए हैं। सीट कटने की खबर से नाराज़ हैं। “नीतीश से मिलकर और टिकट लेकर ही हम लौटेंगे।“- इस जिद के साथ वे वहां जमे हुए हैं। हम यहां मौजूद लोगों से संजय झा को फटकारे जाने की खबर के बारे में तस्दीक करना चाह रहे थे मगर यहां मौजूद लोगों ने ‘पता नहीं, सुना तो है’। संजय झा और कई बड़े नेता आए थे, इसकी पुष्टि जरूर हुई।

लालू तेजस्वी और राबड़ी

10 सर्कुलर रोड, लालू-राबड़ी आवास

आगे हम पहुंचते हैं 10 सर्कुलर रोड स्थित लालू-राबड़ी आवास पर। भारी भीड़ है। कुछ नेता दोबारा आए हैं। मनेर के विधायक भाई बीरेंद्र मिल गये। पत्रकारों ने घेर लिया। पूछा- “क्या सिम्बल लौटाने आए हैं?” थोड़ा जवाब देने में सकपकाए। फिर कहा कि कुछ सुझाव लेने आए हैं। दरअसल घंटा-डेढ़ घंटा पहले ही लालू प्रसाद ने ने सिम्बल बांटे थे। अब आधी रात के बाद दोबारा बुलावा आने से भीड़ फूट पड़ी। हॉल में 100 से ज्यादा लोग - मटिहानी के बोगो सिंह से लेकर मनेर के भाई वीरेंद्र तक। "लालू साहब ने रात में ही सिम्बल दिए, लेकिन बाकी का क्या?" एक महिला कार्यकर्ता रोते हुए कहती है। तेजस्वी का नाम लेते ही तालियां, लेकिन कांग्रेस की बगावत की खबर पर सन्नाटा। बाहर सड़क पर मोटरसाइकिलों की कतार, युवा 'तेजस्वी जिंदाबाद' के नारे लगाते। रात ग्यारह बजे लालू का कमरा बंद, लेकिन खिड़की से रोशनी झांक रही। लालटेन का सिम्बल हाथ में थामे लोग बाहर नाच रहे, लेकिन अंदर क्या कुछ हो रहा है, इस पर भी नज़र है।

आरजेडी दफ्तर, 2, वीरचंद बीरचंद पटेल पथ

आरजेडी के दफ्तर में जोश है, उत्साह है। सिम्बल बंट रहे हैं। टिकटार्थियों की गाड़ियां हैं, समर्थकों का हुजूम है। तेजस्वी के जयकारे लग रहे हैं। महिला, पुरुष, युवा समेत पत्रकारों की भी अच्छी खासी भीड़ है। सिम्बल बंटने से लेकर वापस लेने की चर्चा और उसका खंडन सब हो रहा है। जितने मुंह उतनी बातें हैं। तेजस्वी को केस में फंसाने की कोशिशों पर भी बातचीत करते हैं लोग। एक महिला राजकुमारी कहती हैं, “इ कोनो नया बात है। जब-जब चुनाव आता है। ई सब होने लगता है।“ मिहिर यादव उसमें जोड़ते हैं, “डर लगता है भाजपा को तेजस्वी से। तेजस्वी आएंगे तो रोजगार देंगे।“
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कांग्रेस दफ्तर, सदाकत आश्रम

रात के 2 बज रहे हैं। जाहिर है अपेक्षाकृत कम लोग यहां मौजूद। नेता-कार्यकर्ता खुश हैं। ‘सम्मान से समझौता नहीं’ वाला भाव भी है। जरूरत पड़ी तो '243 सीटों पर अकेले लड़ेंगे'। हालाँकि ऐसा कहने वाले को टोकते भी कांग्रेस के ही लोग हैं। वे कहते हैं- “सब ठीक हो जाएगा।“ सिम्बल बंटने की खबर पर नाराजगी है कि जब सब कुछ तय नहीं हुआ है तो सिम्बल बांटने का क्या मतलब है। वैशाली सीट पर पसंदीदा उम्मीदवार के समर्थन में नारे लग रहे हैं। कुछेक नेता मोबाइल पर बात करते हुए जता रहे हैं मानो उनकी बात दिल्ली में किसी वरिष्ठ नेता से हो रही हो। 

चिराग पासवान का दफ्तर

देर रात भी यहां जश्न का माहौल है। 29 सीटें मिलने पर मिठाई बंटी है, अब भी यह सिलसिला थमा नहीं है। चिराग पासवान के जयकारे लग रहे हैं। जेडीयू की नाराजगी की खबर पर हंसी उड़ाते दिख रहे हैं लोग। बाहर पटाखे फूट रहे, युवा डांस कर रहे हैं। टिकटार्थियों की भीड़ है। सबको इंतजार है कि चिराग भैया आएंगे तो अपनी दावेदारी रखेंगे। सीट हो चुका, अब चुनाव लड़ने की तैयारी है। छोटे दल का बड़ा सपना साकार लग रहा है।

एचएएम दफ्तर, अनीसाबाद

जीतन राम मांझी का दफ्तर छोटा, लेकिन गुस्सा बड़ा है। "हम बिके नहीं!" 20-25 कार्यकर्ताओं के झुंड में से आवाज आती है। मांझी का फोटो सामने है। "अगर पसंदीदा सीट न मिली, तो हम नहीं मानेंगे"- ललन मांझी बोलते नज़र आते हैं। गया से हैं। बाहर सड़क अंधेरी, लेकिन अंदर लाइटें जल रही। मांझी से उम्मीद है। वही कुछ कर सकते हैं। हर किसी का मानना है कि 6 सीट पर नहीं मानना चाहिए। 

टिकट की जंग में माहौल मायूसी, आक्रोश, उत्साह के अलग-अलग नजारे हैं  लेकिन राजनीति की रंगत यही है। मंगलवार या फिर बुधवार को को क्या होगा? एनडीए का घाव गहराएगा या फिर मरहम काम आएगा, महागठबंधन में बीमारी ठीक होगी या फिर गंभीर- इस पर सबकी नज़र है। एक बात जरूर है कि एनडीए में कल तक जो सीटें बांटा करता था जेडीयू आज असंतोष का इजहार कर रहा है। बड़ा भाई छोटा बन गया है। वहीं आरजेडी सिंबल बांट कर भी उन्हें वापस ले रहा है तो यह कांग्रेस को नाराज़ नहीं करने की जरूरत को समझे जाने के रूप में उदाहरण है। मगर, राजनीति का स्वभाव नहीं बदला है चाहे महागठबंधन हो या फिर एनडीए।