फ़िल्म की तरह चिराग़ पासवान का राजनीतिक भविष्य सुपर फ़्लॉप साबित होगा या फिर वह पार्टी में बग़ावत की आँधी के बीच अपने पिता राम विलास पासवान की राजनीतिक विरासत को संजो कर रख पाएँगे? इस सवाल के जवाब में बिहार की आगे की राजनीति का संकेत छिपा हुआ है। चिराग़ की लोक जनशक्ति पार्टी के छह में से पाँच सांसदों ने बग़ावत का झंडा उठा लिया है। उन्होंने राम विलास पासवान के भाई पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुन लिया है और चिराग़ को पार्टी के सभी पदों से हटाने की घोषणा कर दी है। इस बग़ावत के पीछे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के नेताओं का हाथ बताया जा रहा है। 2020 में बिहार विधान सभा चुनावों के ठीक पहले चिराग़ ने नीतीश कुमार के साथ-साथ एनडीए को खुली चुनौती दी थी। चिराग़ की पार्टी इस चुनाव में सिर्फ़ एक सीट जीत पायी लेकिन नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड छत्तीस सीटों पर हार गयी। नीतीश और चिराग़ के बीच तब से रस्साकशी चल रही है।