डायरेक्टर- तुषार हिरानंदानीफ़िल्म- सांड की आंख
'जहाँ चाह वहाँ राह' को साबित करती तापसी और भूमि की 'सांड की आँख'
- सिनेमा
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- 23 Oct, 2019

फ़िल्म 'सांड की आँख' का एक दृश्य।
फ़िल्म 'सांड की आँख' में कुछ पाने का जुनून है, जज़्बा है और सपने पूरे करने की ललक है। यह फ़िल्म दो तेज़-तर्रार शूटर चन्द्रो तोमर व प्रकाशी तोमर के जीवन और शूटर बनने की उनकी कहानी पर आधारित है।
स्टार कास्ट- तापसी पन्नू, भूमि पेडनेकर, प्रकाश झा, विनीत कुमार सिंह, पवन कुमार
रेटिंग स्टार - 5/3
जहाँ चाह वहाँ राह। यह लाइन आपने ख़ूब सुनी होगी और इसी लाइन को सिद्ध करती है फ़िल्म 'सांड की आँख'। तुषार हिरानंदानी के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'सांड की आँख' में कुछ पाने का जुनून है, जज़्बा है और सपने पूरे करने की ललक है। यह फ़िल्म दो तेज़-तर्रार शूटर चन्द्रो तोमर व प्रकाशी तोमर के जीवन और शूटर बनने की उनकी कहानी पर आधारित है। तो आइए जानते हैं कि क्या है फ़िल्म की कहानी-
फ़िल्म 'सांड की आँख' की कहानी शुरू होती है बागपत के जोहर गाँव से जहाँ पर एक परिवार की बहू हैं चन्द्रो तोमर (तापसी पन्नू) और प्रकाशी तोमर (भूमि पेडनेकर), जो औरतें मुँह से नीचे तक का घूँघट करती हों और कभी अकेले घर से बाहर भी न गई हों उनके लिए शूटर बनना आसमान से तारे तोड़ने के बराबर है। लेकिन डॉ. यशपाल (विनीत कुमार सिंह) बताते है कि शूटिंग सीखने के बाद सरकारी नौकरी मिलेगी। यह बात सुनकर चन्द्रो व प्रकाशी अपनी पोती शेफाली व बेटी सीमा को शूटिंग सिखाने की ठान लेती हैं जिससे उन्हें सरकारी नौकरी मिल जाए। मजेदार बात यह है कि उम्र के 60 साल निकलने के बाद प्रकाशी व चन्द्रो जब अपने बच्चों को शूटिंग सिखाने के लिए लेकर जाती हैं तो उन्हें अपने अंदर छिपी कला के बारे में भी पता चलता है। चन्द्रो व प्रकाशी बहुत अच्छा निशाना लगाना जानती हैं और इस बात से यशपाल बहुत ख़ुश हो जाता है और वह दोनों को शूटिंग सीखने के लिए कहता है।