ECI SIR Latest: चुनाव आयोग 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूचियों को शुद्ध करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा करने वाला है। पहले चरण में 10 से ज़्यादा राज्य होंगे। लेकिन वोट चोरी के आरोप वहीं के वहीं हैं।
चुनाव आयोग (ईसीआई) पूरे देश में विशेष गहन संशोधन (SIR) की योजना की घोषणा करने जा रहा है। जल्द ही SIR के राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने का शेड्यूल जारी किया जाएगा। पहली फेज में यह अभियान 10 से अधिक राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश को कवर करेगा, जिसमें 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले असम, तमिलनाडु, पुदुच्चेरी, केरल और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। लेकिन एसआईआर प्रक्रिया ऐसे समय में होने जा रही है जब वोट चोरी के आरोपों ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को दांव पर लगा दिया है। आयोग आगे होने वाले एसआईआर पर कितना तटस्थ रहेगा, यह बड़ा सवाल है।
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि SIR प्रक्रिया कुल दो फेजों में पूरी की जाएगी। पहले फेज में चुनावी राज्यों पर फोकस किया जाएगा, जबकि दूसरे फेज में स्थानीय निकाय चुनावों वाले राज्यों को शामिल किया जाएगा, खासकर जहां सर्दियों में जबरदस्त ठंड की स्थिति हो सकती है। यह अभियान मतदाता सूचियों को अपडेट और सटीक बनाने के उद्देश्य से शुरू किया जा रहा है, ताकि आगामी चुनावों में कोई असुविधा न हो।
यह निर्णय 23 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली में खत्म हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के दो दिवसीय सम्मेलन के बाद लिया गया है। सम्मेलन की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने की, जिसमें चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी भी मौजूद थे। सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की SIR के लिए तैयारियों की समीक्षा की गई। ईसीआई ने सीईओ को पिछली SIR से वर्तमान मतदाताओं को मैप करने के निर्देशों पर भी प्रगति की समीक्षा की।
सम्मेलन में चुनावी राज्यों असम, तमिलनाडु, पुदुच्चेरी, केरल और पश्चिम बंगाल के सीईओ के साथ अलग-अलग (वन टु वन) चर्चा भी हुई। ईसीआई के एक अधिकारी ने बताया, "आयोग अब इस मुद्दे पर चर्चा कर शेड्यूल पर अंतिम निर्णय लेगा, जिसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी।" यह सम्मेलन 10 सितंबर 2025 के SIR तैयारियों वाले सम्मेलन का फॉलो-अप था, जहां सभी राज्यों ने मतदाताओं की संख्या, पिछली SIR की योग्यता तिथि और अंतिम SIR के मतदाता सूचियों का विवरण पेश किया था।
हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर SIR कराने की घोषणा 24 जून 2025 को बिहार के लिए SIR के साथ ही की गई थी। लेकिन, इस प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां अदालत ने ईसीआई के अधिकार क्षेत्र पर सवाल नहीं उठाया, लेकिन पहचान साबित करने के लिए 12वें दस्तावेज के रूप में आधार को शामिल करने का निर्देश दिया। ईसीआई के स्रोतों के अनुसार, मतदाताओं द्वारा जमा किए जाने वाले दस्तावेजों की सूची बिहार SIR जैसी ही रहेगी, जिसमें आधार को केवल पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
ईसीआई का यह कदम देशभर में मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे आगामी चुनावों में पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी वोटिंग की संभावना कम होगी। SIR के तहत मतदाताओं को अपनी जानकारी अपडेट करने का अवसर मिलेगा, जिससे लाखों नए वोटर जुड़ सकेंगे।
ईसीआई ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे SIR की तैयारियों को तेज करें। पहली फेज के राज्यों में मतदाता जागरूकता अभियान भी शुरू किए जाएंगे।
बिहार एसआईआर ने आयोग पर सवाल खड़े किए
बिहार में SIR प्रक्रिया ने चुनावी माहौल को गरमा दिया। 24 जून से शुरू हुए इस अभियान ने मतदाता सूचियों को अपडेट करने के नाम पर लाखों नाम काटने का आरोप लगाकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया। विपक्षी दलों ने इसे "वोटर सप्रेशन" और वोट चोरी का हथकंडा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
ECI ने बिहार में 2003 के बाद पहली बार SIR शुरू किया, ताकि मतदाता सूचियों में मृतक, डुप्लिकेट एंट्रीज, स्थानांतरित या फर्जी नामों को हटाया जा सके। प्रक्रिया में घर-घर जाकर गणना फॉर्म (Enumeration Form) वितरित किए गए, और मतदाताओं से 11 दस्तावेजों (जैसे जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट) में से एक मांगा गया। योग्यता तिथि 1 जुलाई 2025 रखी गई।
7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ने फॉर्म जमा किए। ड्राफ्ट सूची (1 अगस्त 2025) में 65 लाख नाम कटे, जबकि फाइनल सूची (30 सितंबर 2025) में कुल 68.66 लाख नाम हटाए गए। इनमें 22 लाख मृतक, 7 लाख डुप्लिकेट और 35 लाख "ट्रेस न होने वाले" मतदाता शामिल थे।
बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर 2025 से ठीक पहले (जून-जुलाई) में शुरू हुई यह प्रक्रिया जल्दबाजी में क्यों की गई। विपक्ष का कहना है कि जनवरी 2025 में ही सूची अपडेट हो चुकी थी, फिर अचानक "जंक" कर नई जांच क्यों, नई मतदाता सूची क्यों? इसका सही और माकूल जवाब चुनाव आयोग आज तक नहीं दे पाया है। इसी बीच चुनाव की घोषणा कर दी गई, जिसकी प्रक्रिया जारी है। विवाद मुख्य रूप से "मास एक्सक्लूजन" (बड़े पैमाने पर वोटरों का हटाया जाना) पर केंद्रित है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया गरीब, प्रवासी, अल्पसंख्यक, दलित और पिछड़े वर्गों को निशाना बना रही है।
एसआईआर पर विपक्ष का आरोप क्या है
नेता विपक्ष राहुल गांधी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि ECI BJP के दबाव में काम कर रहा है। महाराष्ट्र में "फर्जी वोटर जोड़ने" के बाद बिहार में "विरोधी वोटर काटना" उसका पूरा ऑपरेशन था।
पारदर्शिता की कमी: कटे नामों का डेटा छिपाया, गैर-नागरिकों की संख्या न बताई। कांग्रेस ने कहा, "ECI ने हिम्मत नहीं दिखाई।"
टाइमिंग संदिग्ध: चुनाव से 5 महीने पहले एसआईआर शुरू किया गया, जबकि जनवरी में सूची तैयार थी। SC ने कहा, "यह ECI की पावर है।"
ECI का बचाव: आयोग ने कहा, "SIR संवैधानिक है, मृत/डुप्लिकेट हटाना जरूरी। हम गलतियां सुधारने को तैयार।" लेकिन विपक्ष ने इसे "झूठा दावा" बताया।
राहुल गांधी का वोट चोरी नारा देशभर में फैला
बिहार एसआईआर पर जब विपक्ष को नहीं सुना गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी कोई बेहतर फैसला नहीं दिया तो राहुल गांधी इस मुद्दे को जनता के बीच ले गए। राहुल गांधी ने SIR प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसे "संस्थागत वोट चोरी" का हथकंडा बताया है, जो गरीबों, अल्पसंख्यकों और विपक्षी समर्थकों के मताधिकार को छीनने का प्रयास है। इससे ECI की विश्वसनीयता पर आंच आई।
राहुल गांधी ने अगस्त 2025 में बिहार में तेजस्वी के साथ 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाली। उन्होंने दावा किया कि ECI BJP के इशारे पर काम कर रहा है, और SIR के नाम पर लाखों वैध मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं, जबकि फर्जी वोटर जोड़े जा रहे हैं। यह आरोप न केवल बिहार तक सीमित है, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और 2024 लोकसभा चुनावों तक भी फैला। उन्होंने इसके सबूत प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए। चुनाव आयोग सबूतों पर कोई जवाब नहीं दे सका। मुख्य चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी को धमकी दी और कहा कि माफी मांगो। राहुल गांधी ने वोट चोरी के नए सबूत पेश किए। चुनाव आयोग शर्मसार होकर चुप हो गया।
विपक्ष ने संसद में बहस की मांग की लेकिन यह मांग पूरी नहीं हुई। 11 अगस्त को दिल्ली में चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन में राहुल गांधी समेत 200 लोग गिरफ्तार हुए। राहुल ने 17 अगस्त 2025 को सासाराम में कहा था, "पूरी देश में वोट चोरी हो रही है। हम इसे रोकेंगे।" उन्होंने सुबोध कुमार और रंजू देवी जैसे मामलों का वीडियो शेयर किया, जहां नाम काटे गए थे। वोटर अधिकार यात्रा के दौरान लोग सामने आए और कहा कि उनका वोट काटा गया। जिन्दा लोग लेकिन चुनाव आयोग की सूची में मृत घोषित। विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी के आरोपों का चुनाव आयोग के पास संतोषजनक जवाब या काट नहीं है। आयोग की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है।