अमेरिकी टेक दिग्गज गूगल ने भारत में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए, अदानी समूह के साथ साझेदारी में 15 अरब डॉलर (लगभग 1.26 लाख करोड़ रुपये) का निवेश करने की घोषणा की है। यह निवेश अगले पांच वर्षों (2026-2030) में होगा और इसका केंद्र आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में स्थापित भारत का सबसे बड़ा एआई डेटा सेंटर कैंपस होगा। यह परियोजना अमेरिका के बाहर गुगल का सबसे बड़ा एआई निवेश मानी जा रही है, जो भारत को वैश्विक एआई नवाचार का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। हालांकि भारत में एआई की कई कंपनियां खड़ी हो चुकी हैं 

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी और अन्य पर अमेरिकी कोर्ट में रिश्वतखोरी का मुकदमा चल रहा है। अमेरिकी कोर्ट से गौतम अडानी को समन भी जारी हुआ लेकिन अभी तक भारत सरकार और उससे जुड़ी एजेंसियों या सरकारी विभाग ने समन को तामील नहीं कराया है। गूगल ने इस सबके बावजूद अडानी से करार किया। इसकी कारोबारी क्षेत्र में काफी चर्चा है।

गूगल क्लाउड के सीईओ थॉमस कुरियन ने नई दिल्ली में आयोजित 'भारत एआई पावर' कार्यक्रम के दौरान इस साझेदारी की औपचारिक घोषणा करते हुए कहा, "यह अमेरिका के बाहर हमारा सबसे बड़ा एआई हब होगा। यह भारत के एआई युग में क्षमता को अनलॉक करने का मजबूत आधार प्रदान करेगा, जिससे व्यवसाय, रिसर्च करने वाले और क्रिएटर्स एआई के साथ और विस्तार कर सकेंगे।" कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू सहित कई प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं।

सुंदर पिचाई ने पीएम मोदी से बात की

गुगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी चर्चा का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, "भारत के पीएम नरेंद्र मोदी से बात करके खुशी हुई। विशाखापत्तनम में गूगल का पहला एआई हब एक ऐतिहासिक विकास है। यह गीगावाट-स्केल कम्प्यूट क्षमता, नया अंतरराष्ट्रीय सबसी गेटवे और बड़े पैमाने पर ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर को जोड़ेगा। इससे हम भारत के उद्यमों और उपयोगकर्ताओं तक अपनी अग्रणी तकनीक पहुंचाएंगे, एआई खोज को तेज करेंगे और पूरे देश में विकास को बढ़ावा देंगे।"
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अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने इस साझेदारी को "भारत के डिजिटल परिदृश्य के भविष्य को परिभाषित करने वाला ऐतिहासिक प्रोजेक्ट" बताया। उन्होंने कहा, "यह केवल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश नहीं है, बल्कि एक उभरते राष्ट्र की आत्मा में निवेश है। अडानी समूह गूगल के साथ इस पर गर्व करता है।"

गूगल अडानी प्रोजेक्ट के लिए चुनौतियां भी कम नहीं

गूगल और अडानी का यह निवेश भारत में डिजिटल कारोबार को भी बदलेगा। भारत में अभी भी एआई और डेटा विज्ञान में विशेषज्ञों की कमी है। इस निवेश को सफल बनाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण और शिक्षा की आवश्यकता होगी। इसी तरह डेटा सेंटरों की उच्च ऊर्जा खपत को देखते हुए, स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा। लेकिन ऊर्जा उत्पादन में भारत को अपनी स्थिति मजबूत करना होगी। इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस निवेश का लाभ केवल विशाखापत्तनम तक सीमित न रहे, बल्कि पूरे देश में समान रूप से सभी को मिले।
  • क्या ट्रंप इस निवेश को पसंद करेंगेः कुछ खास प्वाइंट्स

    अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जुलाई 2025 में वाशिंगटन में आयोजित एआई समिट में स्पष्ट रूप से अमेरिकी टेक दिग्गजों जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल को चेतावनी दी थी कि वे भारत और चीन में नौकरियां न दें और अमेरिका में रोजगार सृजन पर फोकस करें। उन्होंने कहा, "हमारी बड़ी टेक कंपनियां अमेरिकी स्वतंत्रता का लाभ उठाती हैं, लेकिन चीन में फैक्टरियां बनाती हैं, भारत में वर्कर्स हायर करती हैं और आयरलैंड में प्रॉफिट्स छिपाती हैं। ट्रंप के नेतृत्व में ये दिन खत्म हो जाएंगे।" यह निवेश ठीक वैसी ही "ग्लोबलिस्ट माइंडसेट" को दर्शाता है, जिसकी ट्रंप आलोचना करते हैं। ऐसे में अमेरिकी कंपनी गूगल विदेश में अरबों डॉलर लगा रही है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के बजाय भारत की डिजिटल क्षमता बढ़ाएगा।
    ट्रंप ने एच-1बी वीजा पर सख्ती बढ़ाई है, जिससे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की अमेरिका में नौकरियां प्रभावित हो रही हैं।   गूगल का यह निवेश भारत में लाखों नौकरियां पैदा करेगा (निर्माण, संचालन, एआई विशेषज्ञ), लेकिन ट्रंप इसे अमेरिकी नौकरियों पर हमले के रूप में देख सकते हैं। हाल ही में, ट्रंप की नीतियों के कारण अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश को होल्ड कर रही हैं, क्योंकि वे नीति स्पष्टता का इंतजार कर रही हैं।
    ट्रंप ने एआई को अमेरिका की "राष्ट्रीय प्राथमिकता" घोषित किया है। उन्होंने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किए हैं कि फेडरल फंडिंग वाली एआई कंपनियां "पॉलिटिकली न्यूट्रल" टूल्स बनाएं और "वोक" (प्रगतिशील) एआई मॉडल्स से दूर रहें। गूगल का यह हब भारत को एआई में मजबूत बनाएगा, लेकिन ट्रंप चाहते हैं कि एआई विकास अमेरिका में ही रहे। वे इसे "सिलिकॉन वैली में पैट्रियॉटिज्म" की कमी के रूप में देख सकते हैं।
    कुल मिलाकर, ट्रंप शायद इस निवेश को पसंद न करें, क्योंकि यह उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीति के विपरीत है। हालांकि, यदि यह चीन को कमजोर करने में मदद करता है, तो वे इसे चुपचाप स्वीकार कर सकते हैं। भारत के लिए यह निवेश पॉजिटिव है, लेकिन ट्रंप की नीतियां वैश्विक टेक निवेश को जटिल बना सकती हैं। यदि ट्रंप कोई नया बयान देते हैं, तो स्थिति बदल सकती है।

    अडानी पर अमेरिका में रिश्वतखोरी का मुकदमा

    अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी समेत कई लोगों पर करप्शन का मुकदमा चल रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी पर अमेरिकी जस्टिस विभाग में अटॉर्नी ने नवंबर 2024 में 250 मिलियन डॉलर (लगभग 2,100 करोड़ रुपये) के रिश्वत घोटाले का आरोप लगाया था। इसमें अडानी और उनके सहयोगियों पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देकर सोलर पावर प्रोजेक्ट्स के ठेके हासिल करने का इल्जाम है। इसमें अमेरिकी निवेशकों को भी धोखा दिया गया। इस मामले ने भारत के सबसे प्रभावशाली उद्योगपति को गहरा झटका दिया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं।