दुनिया भर में प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा जब भारत को लेकर नकारात्मक टिप्पणियाँ की जा रही थीं और नकारात्मक रेटिंग आने की आशंका थी तो सरकार इससे निपटने के लिए रणनीति बना रही थी। तो क्या सरकार को जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 में बदलाव, बीजेपी की 'हिंदू राष्ट्रवादी' पार्टी होने की छवि, विवादित एनआरसी जैसे मुद्दों की वजह से देश की सॉवरेन रेटिंग गिरने का डर था? और क्या सरकार ने ऐसी रणनीति बनाई कि उसके असर से अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने उस रेटिंग में सुधार हो? और क्या उससे सुधार हुआ? उन 'नकारात्मक' रेटिंग पर सरकार की गुप्त रणनीति को लेकर 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने कई खुलासे किए हैं।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग न गिरे इसलिए सरकार ने बनाई तिकड़म वाली रणनीति?
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- 9 May, 2022

अर्थव्यवस्था, लोकतंत्र जैसे पैमाने पर जब भारत की रेटिंग गिर रही थी तो सरकार ने क्या किया? क्या कमियों को सुधार करने की कोशिश की गई या फिर 'तिकड़म' से निपटने का प्रयास?

अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब देश में 2020 के मध्य में कोविड -19 महामारी की पहली लहर थी तब वित्त मंत्रालय का आर्थिक विभाग वैश्विक थिंक-टैंक, सूचकांकों और मीडिया द्वारा भारत पर 'नकारात्मक टिप्पणी' का मुकाबला करने के लिए एक मसौदा तैयार कर रहा था। उसको चिंता थी कि इससे सॉवरेन रेटिंग को बेहद ख़राब स्थिति में डाउनग्रेड किया जा सकता है। इसकी रणनीति को लेकर एक प्रजेंटेशन यानी प्रस्तुति दी गई थी।

























