कच्चातिव द्वीप 1974 में एक समझौते के तहत भारत ने श्रीलंका को सौंप दिया। यह द्वीप मात्र 285 एकड़ में फैला हुआ है।यह द्वीप रामेश्वर के पास है। लेकिन 1976 में श्रीलंका ने इसके बदले 80 किलोमीटर में फैले वेज बैंक (Wadge Bank) को भारत को सौंप दिया। खनिज संपदा भरपूर और मछली व्यवसाय के लिए यह वेज बैंक भारतीय मछुआरों के लिए वरदान है। इस तरह भारत ने 1974 में किसी भी तरह के घाटे का सौदा नहीं किया। हालांकि भाजपा और पीएम मोदी ने कच्चातिव द्वीप मुद्दा उठाकर कांग्रेस और डीएमके को घेरने की कोशिश की। लेकिन अब भाजपा के पास इस बात का जवाब नहीं है कि 1976 में भारत ने कच्चातिव के बदले जो वेज बैंक प्राप्त किया, वो भारत के लिए सबसे अच्छा समझौता साबित हुआ। हाल ही में मोदी सरकार ने वेज बैंक में तेल की खोज के लिए खुदाई की अनुमति दी थी लेकिन स्थानीय निवासियों ने कहा कि इससे उनके मछली व्यवसाय पर असर पड़ेगा। मछलियां मर जाएंगी। उन्होंने सरकार की पहल का जबरदस्त विरोध किया। इस विवाद को समझने के लिए पूरी रिपोर्ट पर नजर डालिए।
कच्चातिव द्वीपः क्या है पूरा विवाद, वेज बैंक लेकर घाटे में क्यों नहीं है भारत?
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- 29 Mar, 2025
कच्चातिव द्वीप विवाद लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी और भाजपा ने किसलिए उठाया है... कभी मोदी सरकार ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि कच्चातिव द्वीप को वापस पाने के लिए भारत को युद्ध छेड़ना चाहिए। सवाल यह है कि करीब 10 साल से मोदी सरकार सत्ता में है और यह बात सुप्रीम कोर्ट में कहे हुए भी इतना समय हो गया है। क्या उसने कोई युद्ध छेड़ा, क्या उसने श्रीलंका से कभी इसकी मांग की। जानिए पूरी कहानी और क्या चाहती है भाजपाः

कच्चातिव द्वीप में चर्च सेंट एंथनी