संसद परिसर में विपक्षी सांसदों ने फाड़े 'SIR' के पोस्टर, कूड़ेदान में डाला
संसद के मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार को विपक्षी सांसदों ने बिहार में चल रहे
विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर के ख़िलाफ़ अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद परिसर में 'SIR' लिखे पोस्टर फाड़कर और उन्हें कूड़ेदान में डालकर इस अभियान का प्रतीकात्मक विरोध किया। इस बीच, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने विपक्ष के हंगामे और नारेबाज़ी के कारण सदन की कार्यवाही बाधित होने पर सर्वदलीय बैठक बुलाई और सभी दलों से सदन को सुचारू रूप से चलाने की अपील की।
शुक्रवार को
संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस, डीएमके, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी और वामपंथी दलों के नेताओं ने संसद के मकर द्वार पर एक विरोध मार्च निकाला। उनके हाथों में 'SIR- लोकतंत्र पर वार' जैसे नारे लिखे बैनर थे। मार्च के बाद मकर द्वार की सीढ़ियों पर एक कूड़ेदान रखा गया, जिसमें खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अन्य नेताओं ने एक-एक करके 'SIR' लिखे लाल पोस्टर फाड़े और उन्हें कूड़ेदान में डाला। इस प्रतीकात्मक कदम के साथ सांसदों ने 'लोकतंत्र बचाओ' और 'वोट-बंदी बंद करो' जैसे नारे भी लगाए।
एसआईआर पर विपक्ष का आरोप
विपक्ष का आरोप है कि बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन द्वारा शुरू किया गया
एसआईआर अभियान मतदाताओं को वोट देने के अधिकार से वंचित करने की साज़िश है। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने एक स्थगन प्रस्ताव नोटिस देकर दावा किया कि इस अभियान के जरिए बिहार में 52 लाख मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाने की कोशिश हो रही है, जिसे उन्होंने मोदी सरकार द्वारा संविधान और लोकतंत्र पर हमला क़रार दिया। प्रियंका गांधी ने एक्स पर लिखा, 'एसआईआर को पूरे देश में लागू करने की बात हो रही है। यह लोकतंत्र के लिए ख़तरा है।'
लोकसभा स्पीकर की सर्वदलीय बैठक
विपक्ष के इस विरोध और सदन में हंगामे के कारण सदनों को स्थगित करना पड़ा। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इस गतिरोध को खत्म करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वे सदन को सामान्य रूप से चलने दें और प्रश्नकाल जैसे महत्वपूर्ण सत्रों को बाधित न करें। बिड़ला ने कहा,
विरोध का एक तरीका होता है। अगर आप संसद नहीं चलाना चाहते... यह गतिरोध ठीक नहीं है। असहमति हो तो उसे सदन के नियमों के अनुसार व्यक्त करें।
बिड़ला ने यह भी कहा कि सरकार के प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल होंगे और सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। उन्होंने सांसदों से बैनर और पोस्टर लहराने से बचने की सलाह दी, क्योंकि इससे सदन की गरिमा प्रभावित होती है। बिड़ला ने पहले भी गुरुवार को विपक्ष के व्यवहार की आलोचना करते हुए कहा था, 'क्या आप अगली पीढ़ी को नारेबाजी, तख्तियाँ लहराना सिखा रहे हैं? यह आपकी पार्टी के मूल्यों के खिलाफ है।'
संसद में नेताओं के व्यवहार पर आपत्ति
संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने विपक्ष से अपील की कि वे तख्तियां लहराना बंद करें, क्योंकि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में पहले ही इस पर सहमति बनी थी। उन्होंने कहा, 'मैं हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि सदन की गरिमा बनाए रखें।' वहीं, कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने स्पीकर को पत्र लिखकर सरकार के मंत्रियों और सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों के व्यवहार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मंत्रियों द्वारा विपक्ष के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक और धमकी भरे बयान दिए जा रहे हैं। गोगोई ने 26 जुलाई को केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह द्वारा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ धमकी भरे बयान, 25 जुलाई को राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू द्वारा सोनिया गांधी के खिलाफ असंसदीय भाषा, और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे द्वारा सांप्रदायिक भाषा के इस्तेमाल का हवाला दिया। गोगोई ने कहा, 'सदन को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी सामूहिक है, लेकिन सरकार को सहयोगात्मक रवैया अपनाना होगा।'
एसआईआर पर विवाद क्यों?
विपक्ष का कहना है कि बिहार में एसआईआर अभियान के तहत मतदाता सूची से लाखों लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं, जो खासकर अल्पसंख्यक और गरीब समुदायों को प्रभावित करेगा। चुनाव आयोग के आँकड़ों के अनुसार, बिहार की मसौदा मतदाता सूची से 61 लाख से अधिक मतदाताओं को हटाने की संभावना है। विपक्ष इसे 'वोट-बंदी' और 'लोकतंत्र पर हमला' बता रहा है। गौरव गोगोई ने यह भी चिंता जताई कि मतदाता सत्यापन के लिए जरूरी 11 दस्तावेजों में आधार और पैन कार्ड को शामिल नहीं किया गया है, जिससे कई लोग अपने वोट के अधिकार से वंचित हो सकते हैं।
संसद में पाँच दिनों से लगातार हंगामा
संसद में पिछले पाँच दिनों से लगातार हंगामे के कारण कार्यवाही बार-बार स्थगित हो रही है। 21 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में विपक्ष कई अहम मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहा है, जिसमें एसआईआर के अलावा ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे की चर्चा भी शामिल है, जो 28 जुलाई को प्रस्तावित है।
विपक्ष का यह प्रतीकात्मक विरोध और एसआईआर के ख़िलाफ़ उनकी मांग बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल को और गरमा सकती है। दूसरी ओर, सरकार और स्पीकर की कोशिश है कि संसद की कार्यवाही बिना रुकावट के चले। क्या यह गतिरोध सर्वदलीय बैठक में ख़त्म होगा या विपक्ष का विरोध और तेज होगा? यह देखना बाकी है।