बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर को 'चुनाव चोरी' क़रार दिया जा रहा है तो मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार कह रहे हैं कि चुनाव आयोग किसी भी दबाव में आकर मृतकों, स्थायी रूप से पलायन कर चुके लोगों या एक से अधिक स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं कर सकता। तो सवाल है कि क्या सच में एसआईआर से यही काम हो रहा है या फिर विपक्ष के आरोपों के अनुसार वैध मतदाताओं के नाम हटाए जाने की साज़िश है?